CAA Protest: NRC और CAA से जुड़े हर सवाल का जानिए जवाब, इन अफवाहों पर न करें यकीन

देश
शिवम पांडे
Updated Dec 20, 2019 | 17:45 IST

NRC And CAA Protest: एनआरसी और सीएए को लेकर पूरे देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। दूसरी तरफ सरकार ने एक के बाद कई फैक्ट चैक जारी किए हैं। जानिए इनसे जुड़े हर सवाल का जवाब...

NRC And CAA
NRC And CAA 
मुख्य बातें
  • देशभर में एनआरसी और नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है।
  • नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर कई अफवाह भी फैलाई जा रही है।
  • ऐसे में यहां पर जानें हर सवाल के जवाब

नई दिल्ली. भारत में नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी को लेकर देशव्यापी प्रदर्शन हो रहा है। यूपी के कई जिलों में पुलिस ने धारा 144 लगा दी है। वहीं, कई जगह इंटरनेट भी बंद कर दिए हैं।

दूसरी तरफ सरकार ने एक के बाद कई फैक्ट चैक जारी किए हैं। हालांकि, देश के नागरिक खासकर मुस्लिमों में डर है कि एनआरसी के आने के बाद उनकी नागरिकता खतरे में पड़ जाएगी। ऐसे में जानिए नागरिकता संशोधन से जुड़े हर सवाल के जवाब। 

सवाल: भारत में नागरिकता पर नागरिकता कानून 1955 क्या कहता है? 
जवाब:
नागरिकता कानून 1955 के मुताबिक पांच तरीके से भारत की नागरिकता मिलती है। पहला जन्म के आधार पर, दूसरा- वंश के आधार पर, तीसरा- रजिस्ट्रेशन के द्वारा, चौथा- नागरिक बने रहने के आधार पर (नैचुरलाइजेशन)।       

सवाल: क्या नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के बाद केवल पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, पारसी, जैन, सिख, ईसाई को नागरिकता मिलेगी। क्या मुस्लिम समुदाय जैसे- अहमदिया, रोहिंग्या, श्रीलंका के तमिल, नास्तिकों को नागरिकता नहीं मिलेगी। 
जवाब:
नागरिकता संशोधन अधिनियम के मुताबिक इन तीन देश से आए हिंदू, पारसी, जैन, सिख और ईसाई की नागरिकता 11 साल के बजाए 6 साल में मिल जाएगी। वहीं, बाकी समुदाय नैचुरलाइजेशन के जरिए 11 साल भारत में रहने के बाद नागरिकता हासिल कर सकता है। 

सवाल: इसमें केवल केवल इन तीन देशों के इन समुदाय को ही शामिल क्यों किया गया है? 
जवाब:
गृह मंत्रालय के मुताबिक पाकिस्तान, बंग्लादेश और अफगानिस्तान एक इस्लामिक राष्ट्र है। इन देशों का आधिकारिक धर्म इस्लाम है। हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन और ईसाई का धार्मिक आधार पर उत्पीड़न किया जा रहा है। 

सवाल: क्या नागरिकता संशोधन कानून संविधान के आर्टिकल 14 के खिलाफ है? 
जवाब:
संविधान का अनुच्छेद 14 हर व्यक्ति को कानून के समक्ष समानता का अधिकार  देता है। इसमें भारतीय और भारत से बाहर के लोग भी शामिल हैं। आर्टिकल 14 के मुताबिक राज्य किसी व्यक्ति को कानून के समक्ष समानता या भारत के क्षेत्र के भीतर कानूनों के समान संरक्षण से इनकार नहीं करेगा।

भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे ने एक इंटरव्यू में कहा कि- आर्टिकल 14 में समानता का मतलब है समान परिस्थितियों में समानता। इसका मतलब है कि जब स्थिति समान हो तब समान व्यवहार किया जाएगा। ऐसे में यदि कोई भी समुदाय पीड़ित है तो संसद उसकी भलाई के लिए कानून बना सकती है।

कानून की भाषा में इसे सुरक्षात्मक भेदभाव (Protective Discrimination) कहते हैं। हालांकि, सरकार को इसका वाजिब कारण बताना होगा कि कानून में इसे शामिल और इसे निकाला क्यों गया है।  

हरीश साल्वे के मुताबिक- नागरिकता संशोधन अधिनियम के मुताबिक ये कानून अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न किए गए नागरिकों को संरक्षण देता है।

संसद इस कानून में बाकी देशों और समुदायों को जोड़ने में स्वतंत्र हैं। आपको बता दें कि इन कानून को कोर्ट में चुनौती दी गई है। ऐसे में कोर्ट के फैसले का इंतजार करना होगा। 

सवाल: एनआरसी क्या है? ये CAA से कैसे अलग है।  
जवाब:
नेशनल सिटिजनशिप रजिस्टर यानी एनआरसी वह रजिस्टर है, जिसमें भारतीय नागरिकों का विवरण शामिल है। इसकी रिपोर्ट बताती है कि कौन भारतीय नागरिक हैं और कौन नहीं! इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है।  हालांकि, अभी इसकी कवायद शुरू नहीं हुई है।

गृह मंत्रालय के मुताबिक सीएए जहां बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, सिख और ईसाई शरणार्थियों की नागरिकता की बात करता है। वहीं, एनआरसी भारत में बसे सभी नागरिकों, शरणार्थियों और घुसपैठियों का एक रजिस्टर तैयार किया जाएगा। 

सवाल: सोशल मीडिया पर उड़ रही अफवाह के मुताबिक एनआरसी और सीएए को सरकार एक करने वाली है। सीएए से मुस्लिमों को निकाल दिया गया है। ऐसे में आपको 25 मार्च 1971 से पहले अपने पूर्वजों की नागरिकता साबित करनी होगी। यदि हिंदू नागरिकता साबित नहीं कर पाया तो वह तब भी नागरिक रहेगा।  इस स्थिति में मुस्लिम नागरिक नहीं रहेगा?
जवाब:
सबसे पहले गृह मंत्रालय द्वारा फिलहाल एनआरसी की कट ऑफ डेट जारी नहीं की गई है। 25 मार्च 1971 असम समझौता के बाद लागू हुई एनआरसी की कट ऑफ डेट है।  इसकी निगरानी सुप्रीम कोर्ट कर रहा है। एनआरसी नागरिकता रूल 2009 के आधार पर तय होगा। 

सरकार के मुताबिक एनआरसी और सीएए दोनों अलग है। सीएए किसी भी भारतीय मुस्लिम जो यहां के नागरिक हैं, उन पर लागू नहीं होगा। इसके अलावा बाकी देश के मुस्लिमों को भी अलग नहीं किया गया है। केवल तीन देशों के धार्मिक आधार पर प्रताड़ित किए गए समुदायों को 6 साल में नागरिकता दी जाएगी। 

सरकार यदि धार्मिक आधार पर नागरिकता तय करती है तो ये आर्टिकल 15 का उल्लंघन होगा। आर्टिकल 15 कहता है कि राज्य अपने नागरिकों पर केवल धर्म, जाति, लिंग, समुदाय, नस्ल और जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता है। ऐसे में यदि चाहे हिंदू हो, मुस्लिम हो या फिर कोई दूसरे धर्म का व्यक्ति वह एक स्टेटलेस स्टिजन की श्रेणी में आ जाएगा। 

सवाल: क्या आपको अपने पूर्वजों के भी नागरिकता सिद्ध करनी होगी?     
जवाब:
सरकार के मुताबिक आपको केवल अपने जन्म से संबंधित जानकारी, जैसे- जन्म का दिन, महीना या साल और जन्म के स्थान की जानकारी देनी होगी। अपने माता-पिता से संबंधित आपको कोई जानकारी नहीं देनी होगी। हालांकि, नागरिकता को साबित करने के लिए किन डॉक्यूमेंट्स का इस्तेमाल होना है ये सरकार को अभी तय करना है।  

सवाल: भारत में गरीबी और अशिक्षा है। ऐसे में कई लोगों के पास डॉक्यूमेंट्स नहीं हैं। ऐसे में यदि किसी के पास डॉक्यूमेंट्स नहीं है तो मेरी नागरिकता चली जाएगी। 
जवाब:
ऐसी स्थिति में संबंधित अधिकारी, जो एनआरसी तैयार कर रहा है उसके सामने आप गवाह ला सकते हैं। इसके अलावा आप सबूत या फिर गांव वालों से पहचान करवा सकते हैं। इस स्थिति में एक पूरी प्रक्रिया का पालन होगा। 

सवाल: क्या बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आए नागरिकों को डिटेंशन सेंटर में डाल दिया जाएगा?                   
जवाब:
नहीं। किसी भी गैरकानूनी प्रवासी को उसके देश वापस न्यायिक प्रक्रिया के जरिए भेजा जाता है। फॉरनर्स एक्ट 1946 और पासपोर्ट एक्ट 1920 के तहत प्रत्यर्पित करती है। इसमें धार्मिक आधार पर भेदभाव नहीं किया गया है।

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