चीन ने पहली बार कबूल किया गलवान का सच, बताई अपने मारे गए सैनिकों की संख्या और पूरी जानकारी

देश
किशोर जोशी
Updated Feb 19, 2021 | 08:34 IST

चीन ने पहली बार खुलासा किया है कि गलवान घाटी में भारतीय सेना के साथ पिछले साल हुए खूनी संघर्ष में उसके कितने सैनिक मारे गए थे।

China reveals 4 soldiers killed in June 2020 border clash with India in Galwan vally clash
चीन ने पहली बार गलवान में मारे गए सैनिकों की संख्या बताई 
मुख्य बातें
  • चीनी सेना ने पहली बार गलवान घाटी के खूनी संघर्ष मारे गए सैनिकों की संख्या बताई
  • गलवान घाटी में भारतीय सेना के साथ झड़प के दौरान मारे गए थे चीन के कई सैनिक
  • पिछले साल जून में हुआ था भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष

नई दिल्ली: पिछले साल जून में भारत और चीन के बीच उत्तरी लद्दाख की गलवान घाटी में हुए खूनी संघर्ष में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। इस संघर्ष में चीन के भी काफी सैनिक मारे गए और दावा किया गया कि भारत की तुलना में चीन के लगभग दोगुने सैनिक मारे गए थे। चीन ने कभी भी अपने मारे गए सैनिकों की संख्या नहीं बताई, लेकिन अब पहली बार चीन ने कबूल किया है कि इस हिंसक झड़प में उसके भी चार सैनिक मारे गए थे। हालांकि चीन के रिकॉर्ड को देखते हुए अभी भी उसके दावों पर यकीन करना मुश्किल है क्योंकि अगर चीन खुद चार सैनिकों के मरने की बात कह रहा है तो यकीनन यह संख्या और बड़ी हो सकती है।

चीन ने बताए मारे गए सैनिकों के नाम

चीन की सेना ने गलवान घाटी में भारतीय जवानों के हाथों मारे गए सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हुए एक वीडियो भी जारी किया है। चीन ने मारे गए 4 सैनिकों के नाम भी बताए हैं जो इस प्रकार हैं-चेन होंगजून, चेन श‍िआंगरोंग, शियाओ सियुआन, वांग झुओरान। चीनी सेना ने कहा है कि इन सभी सैनिकों ने देश की संप्रभुता तथा जमीन की रक्षा की खातिर अपने प्राणों की आहुति दी है।

चीनी सेना ने भारत समझौते की शर्तो के उल्‍लंघन का भी आरोप लगाया।  चीन के इस कबूलनामे पर इसलिए भी शक हो रहा है क्योंकि कुछ दिन पहले ही रूसी समाचार एजेंसी तास ने खुलासा किया था कि गलवान घाटी झड़प में 45 चीनी सैनिक मारे गए थे। इसके अलावा भी कई मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया था कि चीन के 40 से अधिक सैनिक मारे गए थे। आपको बता दें कि दोनों देशों के बीच इस खूनी संघर्ष के बाद तनाव चरम पर पहुंच गया था। भारत ने इसके बाद चीन के खिलाफ कई तरह के कदम उठाए थे।

पीछे हटने को राजी हुए दोनों देश

इसके बाद तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच राजनीतिक और सैन्य स्तर पर कई दौर की बातचीत हुई और अंतत: दोनों देश अपने-अपने सैनिकों को पीछे हटाने पर राजी हुए।  नौ महीनों तक पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध बने रहने के बाद, दोनों देशों की सेनाएं पैंगोंग झील के उत्तरी एवं दक्षिणी किनारों से पीछे हटने के समझौते पर पहुंची हैं। यह समझौता दोनों देशों के अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिकों के चरणबद्ध , समन्वित और सत्यापित किये जा सकने वाले तरीकों से पीछे हटने का प्रावधान करता है।

भारतीय थल सेना ने मंगलवार को कुछ छोटे वीडियो और तस्वीरें जारी की थी। इनमें पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग सो (झील) के आसपास के स्थानों से चीनी सेना द्वारा अपने सैनिकों की संख्या में कम किये जाने और उसके द्वारा अपने बंकर, शिविर और अन्य सुविधाओं को नष्ट करते देखा जा सकता है।

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