विशाल, विराट और विहंगम है IAC Vikrant...यह तैरता शहर भी, कोचीन से काशी तक पहुंच सकते हैं पोत में यूज हुए तार- बोले PM

देश
अभिषेक गुप्ता
अभिषेक गुप्ता | Principal Correspondent
Updated Sep 02, 2022 | 11:17 IST

IAC Vikrant हिंदुस्तान का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत है। केरल के कोच्चि स्थित कोचिन शिपयार्ड में सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम के दौरान इसे देश को समर्पित किया।

Countdown begins, IAC Vikrant to be commissioned by PM Modi in Indian Navy on Friday, a glimpse of India's first indigenous aircraft carrier
तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (क्रिएटिवः अभिषेक गुप्ता)  |  तस्वीर साभार: Twitter
मुख्य बातें
  • यह भारत का बनाया गया अब तक का सबसे बड़ा जहाज
  • IAC विक्रांत का नाम INS विक्रांत के नाम पर रखा गया
  • लगभग दो फुटबॉल ग्राउंड के बराबर है इसका फ्लाइंग डेक

IAC Vikrant: भारत का पहला स्वदेशी और अब तक का सबसे बड़ा विमानवाहक पोत विक्रांत (स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर : IAC) आखिरकार नौसेना में शामिल हो ही गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (दो सितंबर, 2022) सुबह केरल के कोच्चि में इसे देश को समर्पित किया। 

कोचीन शिपयार्ड (Cochin Shipyard Limited) में पीएम ने 20,000 करोड़ रुपये की लागत से बने स्वदेशी अत्याधुनिक स्वचालित यंत्रों से युक्त विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत के जलावतरण से पहले भारतीय नौसेना के नए ध्वज या निशान का अनावरण भी किया था। पीएम के मुताबिक, "विक्रांत विशाल और महान है। यह विशेष है। यह सिर्फ जंगी जहाज नहीं बल्कि 21वीं सदी के भारत की कड़ी मेहनत, प्रभाव और प्रतिबद्धता का सबूत है।

जानिए, पीएम के संबोधन की बड़ी बातें:

  • आज इतिहास बदलने वाला एक और काम हुआ। भारत ने गुलामी के एक निशान, गुलामी के एक बोझ को अपने सीने से उतार दिया। भारतीय नौसेना को एक नया ध्वज मिला। आज से छत्रपति शिवाजी से प्रेरित, नौसेना का नया ध्वज समंदर और आसमान में लहराएगा।
  • ऐसे एयरक्राफ्ट कैरियर सिर्फ विकसित देश ही बनाते थे। आज भारत इस लीग में शामिल होकर विकसित राज्य की दिशा में एक और कदम बढ़ा दिया है। विक्रांत के हर भाग की अपनी एक खूबी है, एक ताकत है, अपनी एक विकासयात्रा भी है। ये स्वदेशी सामर्थ्य, स्वदेशी संसाधन और स्वदेशी कौशल का प्रतीक है। इसके एयरबेस में जो स्टील लगी है, वो स्टील भी स्वदेशी है।
  • यह युद्धपोत से ज़्यादा तैरता हुआ एयरफ़ील्ड है, यह तैरता हुआ शहर है। इसमें जतनी बिजली पैदा होती है उससे 5,000 घरों को रौशन किया जा सकता है। इसका फ्लाइंग डेक भी दो फुटबॉल फ़ील्ड से बड़ा है। इसमें जितने तार इस्तेमाल हुए हैं वह कोचीन से काशी तक पहुंच सकते हैं।
  • विक्रांत विशाल है, विराट है, विहंगम है। विक्रांत विशिष्ट है, विक्रांत विशेष भी है। विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है। ये 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है। केरल के समुद्री तट पर पूरा भारत एक नए भविष्य के सूर्योदय का साक्षी  बन रहा है। INS विक्रांत पर हो रहा यह आयोजन, विश्व क्षितिज पर भारत के बुलंद होते हौसलों की हुंकार है।

यह भारत के समुद्री इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा जहाज है। भारतीय नौसेना के वाइस चीफ वाइस एडमिरल एस एन घोरमडे ने पहले कहा था कि आईएनएस विक्रांत हिंद-प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने में योगदान देगा। आईएनएस विक्रांत पर विमान उतारने का परीक्षण नवंबर में शुरू होगा, जो 2023 के मध्य तक पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि मिग-29 के जेट विमान पहले कुछ वर्षों के लिए युद्धपोत से संचालित होंगे।

आईएनएस विक्रांत का सेवा में आना रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। विक्रांत के सेवा में आने से भारत अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस जैसे उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो जाएगा जिनके पास स्वदेशी रूप से डिजाइन करने और एक विमान वाहक बनाने की क्षमता है, जो भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल का एक वास्तविक प्रमाण होगा।

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युद्धपोत का निर्माण, भारत के प्रमुख औद्योगिक घरानों के साथ-साथ 100 से अधिक लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) द्वारा आपूर्ति किए गए स्वदेशी उपकरणों और मशीनरी का उपयोग करके किया गया है। विक्रांत के जलावतरण के साथ, भारत के पास सेवा में मौजूद दो विमानवाहक जहाज होंगे, जो देश की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेंगे।

भारतीय नौसेना के संगठन, युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो (डब्ल्यूडीबी) द्वारा डिजाइन किया गया और बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्रालय के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के शिपयार्ड कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित स्वदेशी विमान वाहक का नाम उसके शानदार पूर्ववर्ती भारत के पहले विमानवाहक के ‘विक्रांत’ के नाम पर रखा गया है, जिसने 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

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IAC विक्रांत का नाम इसके पूर्ववर्ती के नाम पर रखा गया है, जो भारत का पहला विमानवाहक पोत था। मूल INS विक्रांत ने पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। IAC विक्रांत, जो कल INS विक्रांत बन जाएगा। करीब 1,600 लोगों के चालक दल को समायोजित करने में सक्षम होगा और 30 लड़ाकू जेट और हेलीकॉप्टर के बेड़े को संचालित कर सकता है।

IAC विक्रांत के चालू होने से भारत को पूर्वी और पश्चिमी दोनों तटों पर एक विमानवाहक पोत तैनात करने की अनुमति मिल जाएगी। यह क्षेत्र में भारतीय नौसेना की समुद्री उपस्थिति और क्षमताओं को भी बढ़ावा देगा। आईएसी विक्रांत के चालू होने के साथ, भारत के पास दो कार्यात्मक विमान वाहक होंगे, जिसमें आईएनएस विक्रमादित्य एक पुनर्निर्मित रूसी वाहक है। 

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