कोरोना संकट: लॉकडाउन की वजह से स्कूल बंद, सैनिटरी पैड्स नहीं मिलने से परेशान हैं लड़कियां

देश
किशोर जोशी
Updated Apr 23, 2020 | 14:30 IST

Sanitary Pads and Lockdown: कोरोना संकट की वजह से लागू हुए लॉकडाउन की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं और लड़कियों को और भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

COVID-19 Girls from rural areas low income families struggle for sanitary napkins during lockdown
कोरोना संकट: लॉकडाउन की वजह से स्कूल बंद, सैनिटरी पैड्स नहीं मिलने से परेशान हैं लड़कियां  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • देश में लॉकडाउन की वजह से कई लोगों को हो रही हैं दिक्कतें
  • सरकारी स्कूली छात्राओं को स्कूल बंद होने की वजह से नहीं मिल पा रहे है सैनिटरी नैपकिंस
  • ग्रामीण इलाकों में छात्राओं के करना पड़ रहा है दिक्कतों का सामना

नई दिल्ली: कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए देशभर में दूसरे चरण का लॉकडाउन जारी है जो तीन मई को खत्म होगा। लॉकडाउन की वजह से लाखों लोगों को दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा है और उनके सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। जरूरी सामान की आपूर्ति हो रही है और मेडिकल स्टोर खुले हैं लेकिन इसके बावजूद भी दूर-दराज़ के ग्रामीण इलाकों में लड़कियों के सामने सैनिटरी पैड्स की समस्या पैदा हो गई है।

देश की तमाम सरकारी स्कूल की छात्राओं के सामने संकट

 12 साल की श्वेता कुमारी को सैनिटरी नैपकिन नहीं मिल पा रहे हैं वो पीटीआई से बात करते हुए कहती हैं, 'महामारी के संकट में पीरिड्यस बंद नहीं होते हैं।'  वो बताती हैं कि कोरोनोवायरस से निपटने के लिए चल रहे लॉकडाउन के कारण उनके स्कूल से सैनिटरी नैपकिन का डिस्ट्रीब्यूशन या तो रुक गया है या देरी हो रही है। श्वेता कुमारी कुमारी ऐसी अकेली लड़की नहीं हैं बल्कि देशभर के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली कक्षा 6 से 12 वीं की कई छात्राएं भी इसी तरह से मुश्किलों का सामना कर रही है।

केंद्र सरकार देती है स्कूलों में सैनिटरी नैपकिन

दरअसल इन्हें केंद्र सरकार की किशोरी शक्ति योजना के तहत हर महीने सेनेटरी नैपकिन दिए जाते हैं। लॉकडाउन की वजह से इन दिनों विभिन्न राज्यों में सैनिटरी पैड का वितरण बाधित हो गया है क्योंकि स्कूल बंद हो गए हैं। इन स्कूलों में अधिकांश निम्न आय वर्ग के परिवारों के बच्चे पढ़ने आते हैं। हरियाणा के कुरुक्षेत्र के एक सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली कुमारी ने बताती हैं, 'पूरा ध्यान मास्क और सैनिटाइटर के वितरण पर स्थानांतरित कर दिया गया है और कोई भी इन बुनियादी बातों के बारे में बात नहीं कर रहा है।  घातक वायरस से सबकी रक्षा करना जरूरी है लेकिन महामारी में भी पीरिड्यस कहां रूकते हैं।'

मास्क हैं लेकिन नैपकिन नहीं

राजस्थान के अलवर की कक्षा 7 में पढ़ने वाली गीता कहती हैं, 'भले ही हमें इसे खरीदने के लिए पैसे मिलें, लेकिन महिलाओं के लिए बाहर निकलना बेहद मुश्किल है, खासकर लॉकडाउन के दौरान सेनेटरी नैपकिन खरीदने के लिए। मेरे इलाके में हर घर में मास्क का वितरण किया जा रहा है। लेकिन सैनिटरी नैपकिन के बारे में कोई चर्चा नहीं है।'

लॉकडाउन से बदले हालात

 उत्तर प्रदेश के बरेली में घरेलू मदद करने वाली रानी देवी ने अपनी बेटी की वजह से दो साल पहले सेनेटरी पैड का इस्तेमाल किया था वो बताती हैं कि उन्हें फिर से वैसी ही स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। रानी बताती है, 'मैंने दो साल पहले तक हमेशा पीरियड्स के दौरान कपड़े का इस्तेमाल किया। मेरी बेटी के स्कूल के एक शिक्षक ने मुझे सैनिटरी नैपकिन को लेकर अहम जानकारी दी। मेरी बेटी को स्कूल में नैपकिन मिल जाती थी और हम दोनों इसका इस्तेमाल करते थे। लेकिन अब लॉकडाउन के  कारण हालात बिल्कुल बदल गए हैं।'

रानी आगे बताती हैं, 'हमारे पास पैसे की कमी है क्योंकि मेरे पति स्ट्रीट फूड का एक ठेला लगाते थे, जो अब लॉकडाउन के कारण बंद है। अन्य आवश्यक चीजों की जरूरत पहले हैं, बेशक सैनिटरी नैपकिन उस सूची में नहीं हैं।' दिल्ली के सरकारी स्कूलों में भी लड़कियां अपने शिक्षकों को कॉल कर इस बारे में पूछ रही हैं।'

स्मृति इरानी ने किया था ट्वीट

 दिल्ली सरकार की एक स्कूल टीचर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "मुझे कुछ लड़कियों के साथ-साथ उनकी मांओं के भी फोन आए हैं, लेकिन अभी नैपकिन की डिलीवरी सुनिश्चित करने की कोई व्यवस्था नहीं है। हमने उच्च अधिकारियों को सूचित किया है।' केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने 29 मार्च को ट्वीट किया था, 'सैनिटरी नैपकिन की उपलब्धता के बारे में बढ़ती चिंता को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार के गृह सचिव ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को सैनिटरी पैड एक आवश्यक वस्तु होने के बारे में स्पष्टीकरण जारी किया है।'

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