Covishield: अदार पूनावाला बोले- पहली बार भारत में बनी 'वैक्सीन' यूरोप में बेची जा रही है,'कोवोवैक्स' का इस्तेमाल बच्चों के लिए

देश
रवि वैश्य
Updated Apr 12, 2022 | 19:11 IST

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा कि हम पहले ही यूरोपीय देशों और आस्ट्रेलिया को खुराक निर्यात कर चुके हैं। यह पहली बार है कि भारत में बनी कोई वैक्सीन यूरोप में बेची जा रही है।

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'पहली बार भारत में बनी 'वैक्सीन' यूरोप में बेची जा रही है' 

कोरोना काल में जो तकलीफें सामने आईं हैं उनसे निजात दिलाने में कोरोना वैक्सीन काफी हद तक कामयाब रही है, भारत में तैयार की गई वैक्सीन देश में लगाने के साथ उसका निर्यात भी दुनिया के कई देशों को किया गया। कोविशील्‍ड वैक्‍सीन बनाने वाले सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा कि हमारे पास 20 करोड़ खुराक का भंडार है। 

पूनावाला ने कहा हम पहले ही यूरोपीय देशों और आस्ट्रेलिया को खुराक निर्यात कर चुके हैं और यह पहली बार है कि भारत में बनी कोई वैक्सीन यूरोप में बेची जा रही है।

उन्‍होंने कहा कि हमने इसे लेने के इच्छुक प्रत्येक व्यक्ति के लिए इसे और अधिक सुलभ बनाने के लिए (निजी अस्पतालों में टीके की खुराक की) कीमत कम कर दी। हम 225 रुपये चार्ज कर रहे हैं।

Covovax का इस्तेमाल बच्चों के लिए किया जाएगा

अदार पूनावाला ने कहा कि कोवोवैक्स (Covovax) का इस्तेमाल बच्चों के लिए किया जाएगा। इसे DCGI द्वारा अनुमोदित किया गया है और हम भारत सरकार की प्रतीक्षा कर रहे हैं कि हम इसे CoWIN ऐप पर डाल दें ताकि इसे सभी के लिए उपलब्ध कराया जा सके। अगर इसे सरकारी कार्यक्रम में भी लिया जाता है तो हम प्राइवेट मार्केट के लिए भी 225 रुपये की समान कीमत लेंगे।

'9 महीने की जगह 6 महीने के गैप का सुझाव और अपील'

देश में कोरोना के खिलाफ टीकाकरण की रफ्तार पर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ ने अपनी राय रखी है। उनका कहना है कि  वैक्सीनेशन की रफ्तार में कमी के पीछे टीकों के बीच में लंबा अंतराल होना है। उनके मुताबिक डोज 2 और डोज तीन के बीच यानी बूस्टर डोज के बीच 9 महीने का अंतराल का होना बड़ी वजह है। वैक्सीनेशन की रफ्तार में देरी ना हो इसके लिए हमने सरकार को 9 महीने की जगह 6 महीने के गैप का सुझाव और अपील दोनों की है। 

बुजुर्गों एवं फ्रंटलाइन वर्करों को 'बूस्टर डोज' देने का फैसला किया था

कोरोना एवं ओमीक्रोन के बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत सरकार ने बच्चों को टीका लगाने के साथ-साथ बुजुर्गों एवं फ्रंटलाइन वर्करों को 'बूस्टर डोज' देने का फैसला किया था। 60 साल और इससे ऊपर के बुजर्गों एवं फ्रंटलाइन वर्कर्स को 10 जनवरी से कोरोना टीके की अतिरिक्त डोज लगनी शुरू की गई थी।इस अभियान के तहत बीमारियों से युक्त 60 साल, इससे ऊपर के व्यक्तियों, फ्रंटलाइन वर्कर्स एवं सभी स्वास्थ्यकर्मियों को टीका लगाया जाएगा। अतिरिक्त डोज कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज लगने के 39 सप्ताह बाद ली जा सकती है। 

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