Economy Package: विपक्ष पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बरसीं, कई तरीकों से हाथों में आता है पैसा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कोरोना काल की घड़ी में सरकार अर्थव्यस्था में योगदान देने वाले हर वर्ग के प्रति फिक्रमंद है।

Economy Package: विपक्ष पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बरसीं, कई तरीकों से हाथों में आता है पैसा
निर्मला सीतारमण, वित्त मंत्री 
मुख्य बातें
  • कोरोना काल में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का ऐलान
  • एमएसएमई, कृषि, टैक्सपेयर्स, रेहड़ी पटरी वाले, कामगारों पर खास ध्यान
  • विपक्ष इसे बता रहा है कि कर्ज वाला पैकेज

नई दिल्ली। कोरोना काल में अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया गया। इसके जरिए एमएसएमई, टैक्सपेयर्स, कृषि, रियल एस्टेट, टूरिज्म, हॉस्पिटैलिटी के साथ साथ कई मुद्दों पर ध्यान दिया गया है। लेकिन विपक्ष इसे राहत पैकेज की जगह कर्ज का पैकेज नाम दे रहा है। विपक्षी दलों का कहना है कि आज देश के लोगों के हाथों में कैश की जरूरत है। लेकिन यह सरकार तो कर्ज बांटने में यकीन कर रही है।

आत्मनिर्भर बनाना है मकसद
विपक्ष का आरोप है कि  जब लोगों के हाथों में खर्च करने के लिए रकम नहीं होगी तो उद्योग धंधों को कर्ज बांटकर सरकार क्या हासिल कर लेगी। इन्हीं आरोपों पर जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि लोगों को पैसे देने के कई रूप होते हैं। जहां तक विपक्ष खासतौर से कांग्रेस की बात है तो उसे रेवड़ियां बांटने में ज्यादा यकीन रहा है। कांग्रेस को अगर आप देखें तो एक बात साफ है कि उनकी नीति कभी भी लोगों को आत्मनिर्भर बनाने की नहीं रही है। लेकिन मौजूदा सरकार की सोच स्पष्ट हैं जहां तत्काल मदद की जरूरत हो उसके साथ इस तरह के माहौल का निर्माण हो जिसमें हर एक शख्स सशक्त हो। 

कैश देने के अलावा भी दूसरे विकल्प
विपक्ष के इस आरोप पर सरकार की तरफ से मजदूरों को कैश नहीं दिया जा रहा है। इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पीएम गरीब कल्याण योजना में यह कदम उठाया जा चुका है। सरकार की तरफ से 500 और 1500 रुपए कैश दिए गए। वो मानती है कि कुछ भी पर्याप्त नहीं होता है। लेकिन कैश के जरिए तत्काल राहत पहुंचाई गई। वित्त मंत्री कहती है कि वो अलग अलग कोनों से इस बात को सुन रही है। लेकिन उनका मानना है कि किसी को सहायता देना या किसी को इतना योग्य बनाना की वो खुद के लिए रास्ता बना सके ये दो महत्वपूर्ण बिंदू हैं, सरकार का मानना है कि हमें मदद इस तरह करनी चाहिए कि उससे डिमांड भी बढ़े। 

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