नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने तीन विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर लिया है लेकिन किसानों का आंदोलन जारी है और भविष्य में भी इसके खत्म होने के आसार कम हैं। किसानों ने अपनी 22 नवंबर की लखनऊ में प्रस्तावित महापंचायत और 29 नवंबर को प्रस्तावित ट्रैक्टर मार्च को जारी रखने का फैसला किया है। किसानों ने साफ कहा है कि अभी एमएसपी सहित कुछ और मांगें हैं जिनका समाधान होना जरूरी है।
संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद किसान नेता और क्रांतिकारी किसान यूनियन के दर्शन पाल सिंह ने कहा, 'आज की बैठक में फैसला लिया गया कि हमारे 22, 26 और 29 नवंबर को जो कार्यक्रम होने वाले हैं वो जारी रहेंगे। 22 को लखनऊ रैली, 26 को पूरे देश में किसान आंदोलन के एक साल पूरे होने पर जश्न मनाया जाएगा और 29 को ट्रैक्टर मार्च (संसद तक) होगा। आंदोलन जारी रहेगा।'
दर्शन पाल ने आगे कहा, 'कृषि कानूनों के अलावा हमारे और भी मुद्दे हैं, विशेष रूप से एमएसपी, हमारे खिलाफ मामलों को वापस लेना, बिजली विधेयक 2020 और वायु गुणवत्ता अध्यादेश को वापस लेना, और हमारे मरने वाले दोस्तों के लिए एक स्मारक हेतु एक स्थान का आवंटन लंबित है। हमें उम्मीद है कि सरकार मुद्दों को हल करने के लिए बैठक बुलाएगी।'
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को घोषणा की थी कि केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेगी और इस तरह सरकार ने किसानों की मांग को मान लिया। संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री के फैसले का स्वागत किया लेकिन कहा कि वे इस घोषणा के संसदीय प्रक्रियाओं के माध्यम से प्रभाव में आने तक की प्रतीक्षा करेंगे। उसने यह संकेत भी दिया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की वैधानिक गारंटी और विद्युत संशोधन विधेयक को वापस लेने की मांग के लिए उसका आंदोलन जारी रहेगा।
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