किसान आंदोलन के बीच राकेश टिकैत को मिली जान से मारने की धमकी, पुलिस को सौंपी गई रिकॉर्डिंग

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Updated Dec 26, 2020 | 23:47 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के बीच किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि उन्‍हें फोन पर जान से मारने की धमकी दी गई। उन्‍होंने बताया कि यह फोन उन्‍हें बिहार से आया था।

किसान आंदोलन के बीच राकेश टिकैत को मिली जान से मारने की धमकी, पुलिस को सौंपी गई रिकॉर्डिंग
किसान आंदोलन के बीच राकेश टिकैत को मिली जान से मारने की धमकी, पुलिस को सौंपी गई रिकॉर्डिंग  |  तस्वीर साभार: ANI

नई दिल्‍ली : कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले करीब एक महीने से दिल्‍ली में डटे किसानों का आंदोलन जारी है। किसान संगठनों ने शनिवार को सरकार के साथ बातचीत फिर से शुरू करने का फैसला लिया है और अगले दौर की बातचीत के लिए 29 दिसंबर की तारीख का प्रस्ताव रखा है, ताकि नए कानूनों को लेकर बना गतिरोध दूर हो सके। इस बीच भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बताया कि उन्‍हें फोन पर जान से मारने की धमकी मिली है और फोन करने वाले ने अपना ताल्‍लुक बिहार से बताया।

इस संबंध में दिल्‍ली से सटे यूपी के गाजियाबाद में कौशांबी थाना में एक तहरीर भी दी गई है, जिसमें कहा गया है कि एक अज्ञात व्यक्ति ने भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत को फोन पर जान से मारने की धमकी दी और उसके बाद से वह फोन बंद आ रहा है। टिकैत ने इस बारे में कहा, 'फोन कॉल बिहार से आया था। वे मुझे जान से मारने की धमकी दे रहे थे। मैंने रिकॉर्डिंग पुलिस कैप्‍टन को भेज दी है। उन्‍हें जो कदम उठाना होगा वे करेंगे।'

फोन पर दी गई धमकी

बताया जा रहा है कि टिकैत को फोन पर धमकी देने वाले शख्‍स ने उन्‍हें फोन कर यह जानना चाहा कि उन्‍हें कितने हथियार भेजे जाएं। जब उन्‍होंने शख्‍स से कहा कि यहां किसान आंदोलन पर बैठे हैं और उन्‍हें हथियार की आवश्यकता नहीं है तो शख्‍स भड़क गया और उसने किसान नेता को जान से मारने की धमकी दे डाली। साथ ही यह भी कहा कि वे हथियार लेकर पहुंच रहे हैं और उन्‍हें जिंदा नहीं छोड़ेंगे। इसे लेकर कौशांबी थाना में त‍हरीर दी गई है, जिसके बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

इससे पहले आंदोलनरत किसानों ने सरकार के साथ बातचीत फिर से शुरू करने के लिए 29 दिसंबर की तारीख का प्रस्ताव दिया, ताकि गतिरोध दूर हो सके। किसान संगठनों ने साथ ही स्पष्ट किया कि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीके के साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए गारंटी का मुद्दा एजेंडा में शामिल होना चाहिए। कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे 40 किसान यूनियनों के मुख्य संगठन संयुक्त किसान मोर्चा की एक बैठक में यह फैसला किया गया।

किसान संगठनों ने हालांकि अपना आंदोलन तेज करने का भी फैसला किया है और उन्होंने 30 दिसंबर को सिंघू-मानेसर-पलवल (केएमपी) राजमार्ग पर ट्रैक्टर मार्च की घोषणा की है। 
 

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