विज्ञान भवन में किसानों-सरकार के बीच छठे दौर की बातचीत जारी, क्‍या निकलेगा समाधान का रास्‍ता?

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Updated Dec 30, 2020 | 15:17 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले करीब एक महीने से भी अधिक समय से जारी प्रदर्शन के बीच किसान प्रतिनिधियों की आज केंद्र सरकार के साथ छठे दौर की वार्ता हो रही है। किसान कृषि कानूनों को निरस्‍त करने की मांग कर रहे हैं।

विज्ञान भवन में किसानों-सरकार के बीच छठे दौर की बातचीत जारी, क्‍या निकलेगा समाधान का रास्‍ता?
विज्ञान भवन में किसानों-सरकार के बीच छठे दौर की बातचीत जारी, क्‍या निकलेगा समाधान का रास्‍ता?  |  तस्वीर साभार: ANI

नई दिल्‍ली : केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले करीब एक महीने से प्रदर्शन कर रहे किसानों के प्रतिनिधियों की आज (बुधवार, 30 दिसंबर) केंद्र सरकार के साथ छठे दौर की बातचीत हो रही है। विज्ञान भवन में हो रही इस वार्ता में सरकार की तरफ से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और उपभोक्‍ता मामलों, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली के मंत्री पीयूष गोयल पहुंचे हुए हैं, जबकि किसान प्रतिनिधियों में भारतीय किसान यूनि‍यन के प्रवक्‍ता राकेश टिकैत सहित अन्‍य किसन नेता शामिल हैं। सभी को इंतजार इस बात का है कि आखिर इस दौर की बातचीत का क्‍या नतीजा निकलता है।

इससे पहले किसानों ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर कहा था कि बुधवार को चर्चा केवल तीन कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीकों एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की वैध गारंटी देने पर ही होगी। इसमें किसानों के हितों की रक्षा के लिए बिजली संशोधन विधेयक 2020 को वापस लिए जाने के मुद्दे को भी बातचीत के एजेंडे में शामिल किए जाने की बात कही गई। इससे पहले 26 दिसंबर को भी किसानों ने वार्ता की एजेंडा सूची को लेकर सरकार को पत्र लिखा था।

एक महीने से जारी है किसानों का प्रदर्शन

कृषि कानूनों को निरस्‍त करने की मांग को लेकर पंजाब, हरियाणा और देश के कुछ अन्य हिस्सों से आए हजारों किसान दिल्ली के निकट सिंघु बॉर्डर, टीकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर पिछले 31 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। वे तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने के साथ-साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं। अपनी मांगों को लेकर किसान संगठनों ने 30 दिसंबर को सिंघु बॉर्डर और टीकरी बॉर्डर से कुंडली-मानेसर-पलवल राजमार्ग तक ट्रैक्टर मार्च निकालने की घोषणा भी की थी, लेकिन बुधवार को सरकार के साथ होने वाली वार्ता के मद्देनजर इसे गुरुवार तक के लिए टाल दिया गया।

यहां उल्‍लेखनीय है कि इसी साल सितंबर में अमल में आए तीनों कृषि कानूनों को केंद्र सरकार ने जहां कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश किया है, वहीं किसानों को आशंका है कि इससे मंडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था खत्म हो जाएगी। वे एमएसपी पर कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं। वहीं सरकार का कहना है कि इन कानूनों के आने से बिचौलिए की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकेंगे। आपसी गतिरोध को दूर करने के लिए सरकार और किसान प्रतिनिधियों के बीच पांच दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन अब तक इसका कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया है।

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