नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता रहे यशवंत सिन्हा कल यानी 13 मार्च को तृणमूल कांग्रेस (TMC) में शामिल हो गए। सिन्हा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी निभा चुके हैं, लेकिन बाद में बीजेपी के नए नेतृत्व से मतभेदों के चलते साल 2018 में उन्होंने भाजपा छोड़ दी। पिछले कुछ सालों में वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन के धुर विरोधी रहे हैं।
यशवंत सिन्हा को जानें
बिहार के पटना में जन्मे यशवंत सिन्हा भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की नौकरी छोड़ राजनीति में आए थे। सिन्हा 1960 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए और अपने सेवाकाल के दौरान महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए 24 साल बिताए। सिन्हा ने 1984 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया और जनता पार्टी के सदस्य के रूप में सक्रिय राजनीति में शामिल हो गए। उन्हें 1986 में पार्टी का अखिल भारतीय महासचिव नियुक्त किया गया और 1988 में उन्हें राज्यसभा का सदस्य चुना गया। उन्होंने नवंबर 1990 से जून 1991 तक चंद्रशेखर के मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री के रूप में काम किया।
बाद में BJP में शुरू हुआ सफर
वह जून 1996 में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने। उन्हें मार्च 1998 में वित्त मंत्री नियुक्त किया गया। उन्हें 1 जुलाई 2002 को विदेश मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। 2004 के लोकसभा चुनावों में वो हजारीबाग निर्वाचन क्षेत्र से हार गए। वो 2005 में संसद में फिर से आए। 13 जून 2009 को उन्होंने भाजपा के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। 2018 में उन्होंने पार्टी की हालत का हवाला देते हुए भाजपा छोड़ दी और कहा कि भारत में लोकतंत्र बहुत खतरे में है।
मोदी के आलोचक बन गए
2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनने के कुछ समय बाद से ही यशवंत सिन्हा पार्टी और नेतृत्व की आलोचना करने लगे। उन्होंने अर्थव्यवस्था से लेकर कई मसलों पर पीएम मोदी की आलोचना की। टीएमसी में शामिल होने पर उन्होंने कहा कि देश अजीब परिस्थिति से गुजर रहा है, हमारे मूल्य और सिद्धांत खतरे में हैं। लोकतंत्र की मजबूती संस्थाओ में निहित है और सभी संस्थाओं को व्यवस्थागत तरीके से कमजोर किया जा रहा है। हाल ही में जब नंदीग्राम में ममता बनर्जी पर कथित हमला हुआ तो सिन्हा ने ट्वीट किया, 'बीजेपी को शर्म आनी चाहिए। एक हमले में घायल ममता के प्रति सहानुभूति रखने के बजाय वे इसका मजाक उड़ा रहे हैं।' वहीं पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर उन्होंने कहा कि बंगाल की लड़ाई भारत की लड़ाई है। बंगाल के मतदाता इस चुनाव में भारत के भविष्य के लिए मतदान करेंगे।
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