नई दिल्ली : बिहार चुनाव की तरह पश्चिम बंगाल में जीत का परचम लहराने के लिए सियासी समीकरण बिठाने में लगे ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी को झटका लगा है। दरअसल, बंगाल चुनाव में ओवैसी फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दिकी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ना चाहते थे। इस गठबंधन को धरातल पर उतारने के लिए उन्होंने गत जनवरी में पीरजादा के साथ मुलाकात भी की थी। इस बैठक के बाद अटकलें लगने लगीं कि अप्रैल-मई महीने में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए ओवैसी और सिद्दिकी साथ आ सकते हैं।
सिद्दिकी ने आईएसएफ नाम से मोर्चा बनाया
हालांकि, इस बैठक के बाद सिद्दिकी ने अपना पत्ता नहीं खोला। अंदरखाने उनकी कांग्रेस और वाम दलों के साथ भी बातचीत चल रही थी। सिद्दिकी ने अपना इंडियन सेक्युलर फोर्स (आईएसएफ) नाम से मोर्चा बनाया है। आगामी चुनावों के लिए आईएसएफ और कांग्रेस एवं लेफ्ट फ्रंट के साथ गठबंधन हो गया है। ओवैसी बिहार की तर्ज पर बंगाल में भी छोटे दलों को साथ लेकर चुनाव लड़ने की तैयारी में है लेकिन सिद्दिकी के कांग्रेस -लेफ्ट के साथ जाने से उनको झटका लगा है। अब ओवैसी को नए सिरे से अपना सियासी समीकरण बिठाना होगा।
त्रिकोणीय मुकाबले की जमीन तैयार
गठबंधन में पीरजादा के शामिल हो जाने पर पश्चिम बंगाल में मोटे तौर पर टीएमसी, कांग्रेस-वाम गठबंधन और भाजपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबले के आसार बन गए हैं। पीरजादा को गठबंधन में शामिल करने के बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आईएसएफ के अलावा राजद और एनसीपी भी कांग्रेस-लेफ्ट अलायंस का हिस्सा होंगे।
बिहार की तरह चुनाव लड़ना चाहते हैं ओवैसी
इस चुनाव में आईएसएफ 65 से 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा कर सकता है। ओवैसी चाहते थे कि पीरजादा विधानसभा की सभी 294 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करें। एआईएमआईएम प्रमुख ने राज्य की जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए अपनी पार्टी के नेताओं को वहां भेजा था। बिहार चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने सीमांचल की पांच सीटों पर जीत दर्ज की। इस जीत से उत्साहित ओवैसी ने बंगाल और यूपी का विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की। पश्चिम बंगाल में मुस्लिमों की कुल आबादी 30 प्रतिशत के करीब है। बंगाल की 100 से 110 सीटों पर चुनावी नतीजे मुस्लिम मतदाता तय करते हैं।
मुस्लिम युवाओं में सिद्दिकी की अच्छी पकड़
ओवैसी चाहते थे कि वह सिद्दिकी को अपने साथ लेकर बंगाल का चुनाव लड़ें। सिद्दिकी एक युवा धार्मिक नेता हैं और मुस्लिम वर्ग के युवाओं में उनकी अच्छी पकड़ है। सोशल मीडिया में भी उनकी अच्छी पहुंच मानी जाती है। मुस्लिम धार्मिक नेता का दावा है कि बंगाल के साउथ एवं नॉर्थ 24 परगना जिलों में उनकी अच्छी पकड़ है।
सिद्दिकी के आने से कांग्रेस-लेफ्ट को मिली मजबूती
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ओवैसी बंगाल में मुस्लिम वोटों में अगर सेंधमारी करने में सफल हो जाते हैं तो उसका नुकसान टीएमसी को हो सकता है जबकि भाजपा इससे लाभान्वित हो सकती है। अब चूंकि सिद्दिकी कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन के साथ आ गए हैं, ऐसे में कमजोर पड़े इस गठबंधन में मजबूती आई है। हाल के वर्षों में कांग्रेस और लेफ्ट राज्य में राजनीतिक रूप से हाशिए पर चले गए हैं। उनकी जगह भाजपा ने ले ली है।
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