Good News:दवा कीमतों को लेकर आई अच्छी खबर, कैंसर रोधी दवाएं, एंटीबायोटिक्स होंगी सस्ती, NLEM लिस्ट में नई मेडिसिन शामिल

National Essential Medicine की रिवाइज लिस्ट सामने आ गई है, इस लिस्ट में कैंसर की चार दवाएं भी शामिल हुई हैं और कुछ दवाओं को हटाया गया है।

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कैंसर रोधी दवाएं, एंटीबायोटिक्स होंगी सस्ती (फोटो साभार-istock) 

antibiotics & anti-cancer medicines cheaper: सरकार ने कहा है कि आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम) में 34 नयी अतिरिक्त दवाओं को शामिल करने से कई कैंसर रोधी दवाएं, एंटीबायोटिक्स और टीके अब और अधिक किफायती हो जाएंगे तथा इससे 'मरीजों का खर्च' घटेगा।संक्रमण रोधी दवाएं इवरमेक्टिन, मुपिरोसिन और मेरोपेनेम को भी सूची में शामिल किए जाने के साथ अब ऐसी कुल दवाओं की संख्या 384 हो गई है। चार प्रमुख कैंसर रोधी दवाएं-बेंडामुस्टाइन हाइड्रोक्लोराइड, इरिनोटेकन एचसीआई ट्राइहाइड्रेट, लेनालेडोमाइड और ल्यूप्रोलाइड एसीटेट तथा मनोचिकित्सा संबंधी दवाओं-निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी और ब्यूप्रेनोर्फिन को भी सूची में जोड़ा गया है।

हालांकि, 26 दवाओं जैसे कि रैनिटिडिन, सुक्रालफेट, व्हाइट पेट्रोलेटम, एटेनोलोल और मेथिल्डोपा को संशोधित सूची से हटा दिया गया है। लागत प्रभावशीलता और बेहतर दवाओं की उपलब्धता के मापदंडों के आधार पर इन दवाओं को सूची से बाहर किया गया है।

मंगलवार को सूची जारी करने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने ट्वीट किया, 'आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची 2022 जारी की। इसमें 27 श्रेणियों में 384 दवाएं शामिल हैं।

कई एंटीबायोटिक्स, टीके, कैंसर रोधी दवाएं तथा कई अन्य महत्वपूर्ण दवाएं और सस्ती हो जाएंगी एवं मरीजों का खर्च घटेगा।'

'सबको दवाई, सस्ती दवाई' की दिशा में कई कदम

इस अवसर पर मांडविया ने कहा कि उनका मंत्रालय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के तहत 'सबको दवाई, सस्ती दवाई' की दिशा में कई कदम उठा रहा है। उन्होंने कहा, 'इस दिशा में, आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची स्वास्थ्य सेवा के सभी स्तर पर सस्ती गुणवत्ता वाली दवाओं की पहुंच सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह लागत प्रभावी, गुणवत्तापूर्ण दवाओं को बढ़ावा देगी और नागरिकों के लिए स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च में कमी लाने में योगदान देगी।'

इसे पूर्व में 2003, 2011 और 2015 में तीन बार संशोधित किया गया था

मांडविया ने कहा कि एनएलईएम का प्राथमिक उद्देश्य तीन महत्वपूर्ण पहलुओं- लागत, सुरक्षा और असर पर विचार करते हुए दवाओं के तर्कसंगत उपयोग को बढ़ावा देना है।उन्होंने कहा कि एनएलईएम एक गतिशील दस्तावेज है और बदलती लोक स्वास्थ्य प्राथमिकताओं के साथ-साथ दवा क्षेत्र में ज्ञान में प्रगति को देखते हुए इसे नियमित आधार पर संशोधित किया जाता है। एनएलईएम 1996 में बनाई गई थी और इसे पूर्व में 2003, 2011 और 2015 में तीन बार संशोधित किया गया था।

डाबिगट्रान और टेनेक्टेप्लेस के अलावा अन्य दवाओं ने भी सूची में जगह बनाई 

एनएलईएम 2022 का संशोधन शिक्षाविदों, उद्योगपतियों और लोक नीति विशेषज्ञों समेत हितधारकों तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की आवश्यक दवा सूची (ईएमएल)-2021 जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों के साथ निरंतर परामर्श के बाद किया गया है।संशोधित सूची में अंतस्रावी दवाओं और गर्भनिरोधक फ्लूड्रोकोर्टिसोन, ओरमेलोक्सिफेन, इंसुलिन ग्लरगाइन और टेनेनिग्लिटीन को जोड़ा गया है। श्वसन तंत्र की दवा मॉन्टेलुकास्ट, और नेत्र रोग संबंधी दवा लैटानोप्रोस्ट का नाम सूची में है। हृदय और रक्त नलिकाओं की देखभाल में उपयोग की जाने वाली दवा डाबिगट्रान और टेनेक्टेप्लेस के अलावा अन्य दवाओं ने भी सूची में जगह बनाई है।

दवाओं पर स्थायी राष्ट्रीय समिति के उपाध्यक्ष डॉ वाई के गुप्ता ने कहा, 'एनएलईएम में इवरमेक्टिन, मेरोपेनेम, सेफुरोक्साइम, एमिकासिन, बेडाक्विलाइन, डेलामेनिड, इट्राकोनाजोल एबीसी डोलटेग्रेविर जैसी दवाओं को जोड़ा गया है।' डॉ गुप्ता ने कहा कि एनएलईएम की दवाएं अनुसूचित श्रेणी में शामिल हैं और उनकी कीमत राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण द्वारा नियंत्रित की जाती है। पिछले साल भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के तहत एक विशेषज्ञ समिति द्वारा 399 'फॉर्मूलेशन' की संशोधित सूची प्रस्तुत की गई थी। भारतीय आवश्यकताओं के विस्तृत विश्लेषण के बाद, मांडविया द्वारा बड़े बदलाव की मांग की गई।

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