गोद में एक साल का बच्चा लिए पति- पत्नी साइकिल से निकल पड़े मध्य प्रदेश, यह फिल्मी कहानी नहीं बल्कि हकीकत

देश
ललित राय
Updated Apr 17, 2020 | 19:07 IST

प्रवासी मजदूर अपने घरों को जाना चाहते हैं, उन्हें पता है कि सरकार की तरफ से लॉकडाउन का ऐलान है। लेकिन उन्हें डर है कि सरकारी इंतजाम आखिर कितने दिनों तक नसीब होगा।

गोद में एक साल का बच्चा लिए पति- पत्नी साइकिल से निकल पड़े मध्य प्रदेश, यह फिल्मी कहानी नहीं बल्कि हकीकत
महाराष्ट्र से प्रवासी मजदूरों का पलायन 
मुख्य बातें
  • पूरे देश में 3 मई तक लॉकडाउन लागू
  • महाराष्ट्र और गुजरात से प्रवासी मजदूरों का पलायन
  • प्रवासी मजदूरों को सता रहा है लॉकडाउन के बाद क्या होगा

नई दिल्ली। कोरोना वायरस की वजह से पूरा देश में 3 मई तक लॉकडाउन है। इसका अर्थ यह है कि कोई भी शख्स एक जगह से दूसरी जगह नहीं जा सकता है। लेकिन देश के अलग अलग हिस्से से जो तस्वीरें और खबरें आ रही हैं वो निराश करती हैं, सोचने पर मजबूर करती हैं कि किसे सही और किसे गलत ठहराया जाए। राज्य सरकारें एक तरफ दावा करती हैं उनके यहां खाने की दिक्कत नहीं है। लेकिन प्रवासी मजदूरों का पैदल या साइकिल से अपने गृहराज्यों की तरफ जाने की कवायद सरकारी दावों की पोल भी खोलती हैं।

साइकिल से जब निकल पड़े प्रवासी मजदूर
नागपुर में रहने वाली एक प्रवासी मजूदर अपनी पीड़ा को कुछ यूं व्यक्त करती है। वो कहती है कि उसके पति और वो अपने एक साल के बच्चे के साथ मध्य प्रदेश के सिवनी के लिए साइकिल से ही निकल पड़ी। वो लोग 14 अप्रैल से बस का इंतजार कर रहे थे। लेकिन जब बस नहीं मिली तो साइकिल से ही जाने का फैसला किया। वो कहती है कि कुछ दिन तक तो लगा कि सबकुछ अच्छा होगा। लेकिन समय बीतने के साथ धैर्य टूटता गया


सिर्फ कुछ प्रवासी मजदूरों की कहानी नहीं
यह कहानी सिर्फ एक प्रवासी मजदूर की नहीं है, बल्कि ज्यादातर मजदूर साइकिल से या पैदल ही मध्य प्रदेश के सतना के लिए निकल पड़े। एक और प्रवासी मजदूर का कहना है कि वो पांच दिन पहले नासिक से अपनी यात्रा शुरू की थी और अगले 6 दिन में वो अपने घर पहुंच जाएगी। अब सवाल यह है कि आखिर मजदूर सबकुछ समझते हुए लॉकडाउन तोड़कर अपने घर जाना चाहते हैं। इस सवाल के जवाब में मजदूरों का कहना है कि जहां वो रुके हुए वहां पुख्ता इंतजाम नहीं है। इससे भी बड़ी बात यह है कि अगर लॉकडाउन खुलता है तो उनके लिये आगे का रास्ता क्या होगा। इस तरह के डर से उन लोगों को अपने घरों के जाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं सुझ रहा है। 

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