भारत को मानवाधिकार का पाठ न पढ़ाएं इमरान खान, पहले अपना घर देखें

देश
आलोक राव
Updated Sep 15, 2019 | 15:46 IST

यह बात सभी को पता है कि खुद पाकिस्तान का मानवाधिकार उल्लंघन का पुराना इतिहास रहा है। पूर्वी पाकिस्तान आज के बांग्लादेश में उसकी फौज ने अपने ही लाखों नागरिकों पर जिस तरह की जुल्म एवं बर्बरता की वह जगजाहिर है।

Imran Khan should not lecture India on human rights violations in kashmir
कश्मीर पर अलग-थलग पड़ चुका है पाकिस्तान।  |  तस्वीर साभार: AP
मुख्य बातें
  • कश्मीर मसले पर पाकिस्तान को हर जगह मिल रही नाकामी, अब यूएन में इस मुद्दे को उठाएंगे इमरान खान
  • कश्मीर मसला नहीं सुलझने पर दुनिया को परिणाम भुगतने की धमकी दे रहे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री
  • अपनी आवाम को दशकों तक अंधेरे में रखती आई है पाकिस्तानी सरकार, इसके जरिए अपनी नाकामियां छिपाती रही है

इमरान खान ने गत शुक्रवार को गुलाम कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद में एक रैली को संबोधित किया। इस रैली में उन्होंने कश्मीर पर भारत सरकार के फैसले के खिलाफ कश्मीरियों और दुनियाभर के मुसलमानों को उकसाने की कोशिश की। यहां तक कि उन्होंने दुनिया को धमकी दी कि यदि कश्मीर मसले के हल के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने हस्तक्षेप नहीं किया तो इसकी कीमत पूरी दुनिया को चुकानी होगी। वह खुली धमकी दे रहे हैं लेकिन इस धमकी का बुरा असर खुद पाकिस्तान को ही उठाना पड़ेगा। कश्मीर पर इमरान खान की अपनी निजी राय हो सकती है लेकिन उनके विचार से दुनिया इत्तेफाक रखे यह जरूरी नहीं। सभी को पता है कि कश्मीर समस्या के लिए जिम्मेदार कौन है। 1990 के दशक से जारी आतंकवाद, हिंसा और पत्थरबाजी की घटनाएं पाकिस्तान के शह पर ही होती आई हैं।  

पाकिस्तान कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन का रोना रो रहा है। इमरान का आरोप है कि भारतीय सेना ने कश्मीर में वहां 80 लाख लोगों को बंधन बनाकर रखा है और उन पर जुल्म किया जा रहा है। इमरान खान कश्मीरियों की आड़ में अपनी रोटी सेंकना चाहते हैं। अनुच्छेद 370 खत्म भारत सरकार ने घाटी के सुलगाने के पाकिस्तान के सभी हाथ-पांव काट दिए हैं। कश्मीर के हालात बिगाड़ने की उसकी सारी किशिशें विफल हो रही हैं। आतंकवादियों की घुसपैठ के लिए वह सीमा पर भारी गोलीबारी कर रहा है जिसका भारतीय सेना माकूल जवाब दे रही है। इमरान को लगता है कि मानवाधिकार हनन का मुद्दा उठाने से दुनिया उनके झांसे में आ जाएगी और उनके समर्थन में खड़ी होगी लेकिन ऐसा होगा नहीं। दुनिया पाकिस्तान की असलियत समझ चुकी है। 

यह बात सभी को पता है कि खुद पाकिस्तान का मानवाधिकार उल्लंघन का पुराना इतिहास रहा है। पूर्वी पाकिस्तान आज के बांग्लादेश में उसकी फौज ने अपने ही लाखों नागरिकों पर जिस तरह की जुल्म एवं बर्बरता की वह जगजाहिर है। बांग्लादेश में पाकिस्तानी फौज का नरसंहार और मुस्लिम महिलाओं के साथ बदसलूकी की भयावहता से दुनिया भलीभांति परिचित है। बलोचिस्तान, पीओके, गिलगिट-बलूचिस्तान में आजादी की मांग और विरोध-प्रदर्शन करने वाले लोगों को पाकिस्तानी सेना की बर्बरता एवं अत्याचार झेलना पड़ते हैं। इन इलाकों में पाकिस्तानी फौज गंभीर रूप से मानवाधिकारों का उल्लंघन करती आई है। पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय का वहां पर जीना मुहाल है। पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों को अगवा कर मुस्लिम युवकों से शादी करा दी जाती है और फिर उनका जबरन धर्म परिवर्तन किया जाता है। 

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का बुरा हाल है। आजादी के समय वहां हिंदुओं की आबादी करीब 15 प्रतिशत हुआ करती थी लेकिन आज वह घटकर 1 प्रतिशत के करीब रह गई है। यही हाल अन्य अल्पसंख्यकों का है। अभी हाल ही में ननकाना साहिब में एक सिख लड़की को अगवा कर उसकी शादी मुस्लिम लड़के से कराई गई और जबरन उसका धर्म परिवर्तन किया गया। अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन इस बात से भी समझा जा सकता है कि इमरान खान की पार्टी पीटीआई का एक पूर्व विधायक राजनीतिक संरक्षण की मांग करते हुए भारत आया है। पाकिस्तान में अहमदियों, शिया, बोहरा और इस्माइली समुदाय के लोगों को मुसलमान नहीं समझा जाता। इन्हें ईशनिंदा कानून के जरिए प्रताड़ित किया जाता है। पाकिस्तान को अपने घर में मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाएं नहीं दिखतीं लेकिन इमरान कश्मीरियों के एंबेसेडर होने का दावा करने लगे हैं।

पांच अगस्त के भारत सरकार के फैसले के बाद पाकिस्तान छटपटा तो रहा है लेकिन वह कुछ कर नहीं पा रहा है। वह कुछ करने की हालत में भी नहीं है। भारत सरकार ने औपचारिक एवं स्पष्ट रूप से दुनिया को संदेश दे दिया है कि कश्मीर भारत का अंदरूनी मसला है और वह किसी तीसरे देश का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेगा। दुनिया के देश भी यही मानते हैं और यही कारण है कि किसी देश ने पाकिस्तान के रुख का समर्थन नहीं किया है। सभी का यही का कहना है कि भारत और पाकिस्तान को मिलकर बात करनी चाहिए लेकिन इससे आगे की बात किसी ने नहीं की है। पाकिस्तान के गृह मंत्री ने भी मान लिया है कि कश्मीर पर दुनिया को वह अपने भरोसे में नहीं ले पाए हैं। संयुक्त राष्ट्र की बैठक हो या यूएनएचआरसी का सम्मेलन सभी जगहों से पाकिस्तान को निराशा हाथ लगी है। इतने सारे कूटनीतिक प्रयासों के बावजूद पाकिस्तान के हाथ कुछ नहीं लगा है, उसके साथ खाली हैं। 

दरअसल, कश्मीर को लेकर पाकिस्तान और उसकी फौज दोनों अपनी कौम से लंबे-चौड़े दावे और वादे करते आए हैं। उन्होंने दशकों तक पाकिस्तानी आवाम को कश्मीर पर अंधरे में रखा है। उन्हें कश्मीर का सपना दिखाया है। यही नहीं, वे कश्मीर के नाम पर अपनी नाकामियों पर पर्दा डालते आए हैं लेकिन अब यह पर्दा भी हट गया है। लोग अब कश्मीर पर उसके दावों को लेकर सवाल पूछने लगे हैं। पाकिस्तान सरकार समझ रही है कि कश्मीर उसके हाथ से फिसल गया है। पाकिस्तानी फौज को लगता है कि कश्मीर का मुद्दा यदि शांत हो गया तो खुद देश में उसकी अहमियत कमजोर हो जाएगी। इसलिए इमरान दुनिया को धमका रहे हैं। 

वह चाहते हैं कि कश्मीर मसले पर उन्हें कुछ हासिल हो जाए जिसे वे अपने लोगों को कुछ दिखा सके। यही कारण है कि वह अपनी रैलियों एवं भाषण में जनता को दिलासा दे रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मिल रही अपनी असफलता को सफलता के तौर पर पेश कर रहे हैं। इमरान खान ने कहा है कि वह संयुक्त राष्ट्र में इस मसले को उठाएंगे। कश्मीर को ज्वलंत मुद्दा बनाए रखने के लिए पाकिस्तान जी-जान से जुटा है लेकिन हर जगह उसे नाकामी मिल रही है। डर है कि इस बौखलाहट में वह पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा कोई कदम न उठा ले। 

(डिस्क्लेमर: इस प्रस्तुत लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं और टाइम्स नेटवर्क इन विचारों से इत्तेफाक नहीं रखता है।)
 

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