काबुल : अफगानिस्तान में युद्ध जैसे हालात के बीच भारत सरकार ने बड़ा फैसला किया है। सरकार मजार-ए-शरीफ स्थित अपने वाणिज्य दूतावास से अपने सभी कर्मचारियों को सुरक्षित बाहर निकाल रही है। कर्मचारियों को नई दिल्ली लाने के लिए एक विशेष विमान की व्यवस्था की गई है। मजार-ए-शरीफ और इसके आस-पास मौजूद नागरिकों को लेकर यह विशेष विमान आज शाम दिल्ली के लिए रवाना होगा। अफगानिस्तान छोड़ने के इच्छुक भारतीय नागरिकों को अपना पूरा नाम, पासपोर्ट नंबर इन दो मोबाइल नंबरों 0785891303, 0785891301 पर तत्काल भेजने के लिए कहा गया है। देश की कई प्रांतीय राजधानियों पर तालिबान के कब्जे की रिपोर्टों के बीच भारत सरकार ने अपने नागिरकों को निकालने का फैसला किया है।
कई प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर चुका है तालिबान
रिपोर्टों में कहा गया है कि देश के बड़े भू-भाग को अपने नियंत्रण में ले चुके तालिबान की नजर अब प्रांतीय राजधानियों को अपने कब्जे में लेने की है। कुछ प्रांतों की राजधानियों पर उसका नियंत्रण हो जाने की खबर है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान की तरफ से तालिबान को हथियार एवं अन्य लॉजिस्टिक उपकरणों की मदद की जा रही है। उत्तर अफगानिस्तान में तालिबान ने अपना दबदबा कायम कर लिया है। तालिबान की मंशा ईरान एवं मध्य एशिया से अफगानिस्तान को होने वाली आपूर्ति काट देने की है।
कुंदुज पर भी तालिबान का कब्जा
कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि पिछले दो दिनों में तालिबान ने पांच प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा किया है। कारोबार के लिहाज से अहम राजधानी कुंदुज पर भी उसका नियंत्रण हो दया है। तालिबान ने सर-ए-पुल शहर के साथ पश्चिमी निमरोज़ प्रांत की राजधानी ज़रंज, उत्तरी जौज़जान प्रांत की राजधानी शेबरगान और अन्य उत्तरी सूबे तालकान की राजधानी जो इसी नाम से है, पर कब्ज़ा कर लिया है।
अफगान सुरक्षा बल की मदद कर रहा अमेरिका
अफगानिस्तान से 90 फीसदी से ज्यादा अमेरिका और नाटो सैनिकों की वापसी हो गई है। सैनिकों की वापसी शुरू होने के बाद से अफगानिस्तान में तालिबान के हमले बढ़ गए हैं। तालिबान के हमलों के बाद अफगान सुरक्षा बलों ने अमेरिका के साथ मिलकर हवाई हमले भी किए हैं। इन हमलों में बड़ी संख्या में तालिबान लड़कों के मारे जाने की खबर है। अफगानिस्तान में दशकों से चल रहे गृह युद्ध के कारण करीब 20 लाख अफगान शरणार्थी पाकिस्तान में रह रहे हैं। पाकिस्तान का कहना है कि अफगानिस्तान में गृह युद्ध यदि शुरू होता है तो उसके यहां अफगान शरणार्थी संकट बढ़ जाएगा।
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