नई दिल्ली: 8 साल के लंबे अंतराल के बाद अब भारत दुनिया में सबसे ज्यादा हथियार आयात करने वाला देश नहीं है। हथियार आयातक के तौर पर देश का नाम पहले स्थान से नीचे खिसक गया है। दूसरे देशों से हथियार खरीदने के मामले में खाड़ी देश सऊदी अरब पहले स्थान पर है जबकि भारत खिसककर दूसरे स्थान पर आ गया है। हथियार निर्यात के मामले में भारत के रुख में बदलाव के चलते रूस को झटका लगा है। दुनिया में हथियारों के व्यापार पर नजर रखने वाली स्टॉकहोम की संस्था सिप्री (SIPRI) की रिपोर्ट में यह बातें निकलकर सामने आई हैं। स्वदेशी हथियार तकनीक के विकास और निर्माण में आत्मनिर्भरता को भी इसका श्रेय दिया जा रहा है।
हथियार व्यापार में टॉप- 5 देश: नए आंकड़ों के अनुसार दुनिया के टॉप 5 हथियार आयातकों की बात करें तो इसमें अब सऊदी अरब, भारत, मिस्र, ऑस्ट्रेलिया और चीन के नाम शामिल हैं जबकि टॉप 5 निर्यातक देशों में अमेरिकी, रूस, फ्रांस, जर्मनी और चीन का नाम आता है। सऊदी अरब खाड़ी में हूती विद्रोहियों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है और इस बीच उसका हथियार आयात तेजी से बढ़ चुका है।
13 प्रतिशत से 9.5 प्रतिशत पर आया भारत: स्वीडिश-थिंक टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की ओर से 'ट्रेंड्स इन इंटरनेशनल आर्म्स ट्रांसफर -2018' के नाम से जारी वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 'भारत 2014-18 में प्रमुख हथियारों का दूसरा सबसे बड़ा आयातक देश रहा जिसकी कुल वैश्विक हिस्सेदारी 9.5 प्रतिशत है। 2014- 2018 के दौरान भारत की हिस्सेदारी 13 प्रतिशत थी। रिपोर्ट में जिक्र किया गया कि भारत ने रूस से Mi-17-V5 हेलीकॉप्टर, अमेरिका से बोइंग पी 8-आई समुद्री निगरानी विमान और इजरायल से यूएवी और रडार खरीदे।
11वें स्थान पर पाकिस्तान: पाकिस्तान हथियार आयात में 11वें स्थान पर रहा है। दिलचस्प बात ये है कि कई देश ऐसे हैं जो भारत और पाकिस्तान दोनों को ही हथियार बेचते हैं। रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के हथियार आयात में सऊदी अरब ने 12 प्रतिशत, मिस्र ने 5.8 प्रतिशत, ऑस्ट्रेलिया ने 4.9 प्रतिशत और चीन ने 4.3 प्रतिशत हथियार आयात किए।
अमेरिका ने लगाई छलांग: दुनिया को हथियार बेचने के मामले में अमेरिका ने बड़ी छलांग लगाई है और उसका रक्षा निर्यात 23 फीसदी बढ़ गया है। अब दुनिया में होने वाले हथियार निर्यात का 36 फीसदी अमेरिका बेंचता है। निर्यात में दूसरे नंबर पर आने वाले रूस के मुकाबले अमेरिका का निर्यात 76 फीसदी ज्यादा है। अमेरिका दुनिया भर के 95 से ज्यादा देशों को हथियार बेंचता है।
राफेल डील ने किया रूस का नुकसान, फ्रांस को फायदा: बीते समय में भारत अपनी रक्षा जरूरतों का ज्यादातर हिस्सा रूस से ही खरीदता रहा है लेकिन समय बदलने के साथ भारत के रक्षा सहयोगियों में फ्रांस, इजरायल और अमेरिका जैसे नए सहयोगी शामिल हुए जिसका असर रूस पर साफ नजर आ रहा है। रूस के हथियार व्यापार को झटका लगा है और उसका हथियार निर्यात 18 फीसदी तक कम हो गया है।
भारत ने फ्रांस से 36 लड़ाकू विमान खरीदने का सौदा किया था जिसका रूस पर गहरा असर पड़ा है और फ्रांस को इस डील से फायदा हुआ है। भारत के अलावा कतर और मिस्र के हथियार खरीदने की वजह से भी फ्रांस को रक्षा निर्यात में फायदा मिला।
आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाता भारत: रक्षा क्षेत्र में मोदी सरकार लगातार भारत को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दे रही है। इसके लिए डीआरडीओ जैसी रक्षा अनुसंधान संस्थाओं के अलावा प्राइवेट सेक्टर को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके साथ ही भारत रक्षा निर्यात की दिशा में भी तेजी से कदम बढ़ा रहा है और कई देशों को अमेरिका और रूस की तुलना में सस्ते और अच्छी गुणवत्ता वाले रक्षा उपकरण बेचने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।