आजादी के 75 साल: चीन और दक्षिण कोरिया के मुकाबले कहां खड़ा है भारत

देश
श्वेता कुमारी
Updated Aug 14, 2021 | 18:13 IST

जापान से आजाद होने के बाद दक्षिण कोरिया ने तरक्‍की की जो नई इबारत लिखी है, वह एक मिसाल है तो कम्‍युनिस्‍ट क्रांति के बाद जनवादी व्‍यवस्‍था वाले चीन ने भी आर्थिक विकास के क्षेत्र में तेजी से बढ़त बनाई है।

आजादी के 75 साल: चीन और दक्षिण कोरिया के मुकाबले कहां खड़ा है भारत
आजादी के 75 साल: चीन और दक्षिण कोरिया के मुकाबले कहां खड़ा है भारत  |  तस्वीर साभार: PTI
मुख्य बातें
  • भारत आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है तो चीन और दक्षिण कोरिया में भी नई व्‍यवस्‍था को अस्तित्‍व में आए 7 दशक से अधिक वक्‍त हो गया
  • शिक्षा व प्रौद्योगिकी को हथियार बनाते हुए दक्षिण कोरिया ने जो आर्थिक तरक्‍की इन वर्षों में हासिल की है, वह दुनियाभर में आज एक मिसाल है
  • दाद चीनी अर्थव्‍यवस्‍था की भी दी जाती है, जिसने 1949 की कम्‍युनिस्‍ट क्रांति के बाद अलग तरह के सिस्‍टम को अपनाया

नई दिल्‍ली : भारत आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है तो दुनिया में कई ऐसे देश हैं, जिन्‍होंने उसी दौर में आजादी पाई और एक नई व्‍यवस्‍था के साथ अपनी तकदीर लिखने की दिशा में आगे बढ़े। इनमें भारत से अलग होकर अस्तित्‍व में आए पाकिस्‍तान की चर्चा अक्‍सर होती है तो दक्षिण कोरिया भी उन देशों में शामिल है, जिसने उसी दौर में आजादी पाकर तरक्‍की की नई इबारत लिखी। चीन में भी नई साम्यवादी व्‍यवस्‍था उसी दौर में सामने आई, आज एक मजबूत अर्थव्‍यवस्‍था के साथ भारत का एक अहम प्रतिद्वंद्वी बना हुआ है।

आजादी के तकरीबन साढ़े सात दशकों के बाद वैश्विक स्‍तर पर भारत की गिनती एक मजबूत और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में होती है तो कई ऐसे क्षेत्र भी हैं, जहां उन मुल्‍कों से पीछे खड़े हैं, जिन्‍होंने शुरुआत हमारे साथ ही की थी। इनमें चीन और दक्षिण कोरिया का नाम प्रमुखता से लिया जार सकता है। हां, यह सच है कि 75 साल की विकास यात्रा के बीच भारत कई अहम पड़ावों से गुजरा और वैश्विक राजनीति में इसने महत्‍वपूर्ण स्‍थान हासिल किया है, लेकिन जीडीपी, प्रति व्‍यक्ति आय सहित कई मुद्दे हैं, जहां भारत इन मुल्‍कों से पीछे नजर आता है।

चीन ने यूं पाई आर्थिक तरक्‍की

चीन और भारत की पिछली सात दशकों की विकास यात्रा पर एक नजर डालें तो साफ होता है कि स्वतंत्रता, पारदर्शिता, मानवीय मूल्‍यों, अधिकारों के मामले में भारत कहीं आगे है। भारत 1947 में ब्रिटिश शासन से आजाद हुआ तो दो साल बाद 1949 में कम्‍युनिस्‍ट क्रांति के बाद माओत्‍से तुंग की अगुवाई में एक नई व्‍यवस्‍था अस्तित्‍व में आई। भारत में आजादी की नई सुबह और चीन में कम्‍युनिस्‍ट क्रांति के बाद सामने आई जनवादी व्‍यवस्‍था के उस दौर में दोनों मुल्‍कों की जीडीपी और प्रतिव्‍यक्ति आय लगभग समान थी, लेकिन आज चीन इस मामले में भारत से कहीं आगे है।

कुटीर उद्योगों को प्रोत्‍साहन देने, बुनियादी संरचनाओं के निर्माण पर जोर देने, जनसंख्‍या को सीमित करने के लिए एक बच्‍चा नीति लागू करने जैसे कई फैसले रहे, जिसने चीन की अर्थवस्‍था को दुनिया में एक महत्‍वपूर्ण जगह बनाने में बड़ा योगदान दिया। न केवल अर्थवस्‍था, बल्कि सैन्‍य क्षमता के लिहाज से भी चीन लगातार प्रगति करता रहा। भारत के साथ 1962 में हुए युद्ध में मिली हार ने उसे बड़ी मनोवैज्ञानिक बढ़त दी तो कई सैन्‍य सुधारों ने भी उसे रक्षा क्षेत्र में ताकत दी। हालांकि मानवाधिकार रिकॉर्ड के मामले में चीन भारत से कहीं पिछड़ा है, जिसके लिए उसकी हमेशा आलोचना होती है।

शिक्षा, तकनीक से आगे निकला दक्षिण कोरिया

दक्षिण कोरिया की बात करें तो वहां भी आजादी की नई सुबह उसी दौर में हुई थी। भारत जहां ब्रिटिश उपनिवेश से आजाद हुआ था, वहीं दक्षिण कोरिया को आजादी जापान से मिली थी। आजादी के 75 वर्षों में दक्षिण कोरिया ने जिस तरह का आर्थिक विकास हासिल किया है, वह सभी को हैरान करता है। दक्षिण कोरिया में प्रति व्‍यक्ति आय भारत, चीन सहित उन सभी मुल्‍कों से कहीं अधिक है, जिन्‍होंने तकरीबन सात दशक पहले आजादी के साथ एक नई शुरुआत की थी। शिक्षा और तकनीक के क्षेत्र में इसने जो प्रगति हासिल की है, वह दुनिया के लिए किसी मिसाल से कम नहीं है।

लंबे समय तक जापान का उपनिवेश रहने और फिर उत्‍तर कोरिया से संघर्ष के बीच दक्षिण कोरिया 1960 के दशक से लेकर 1990 के दशक के बीच सर्वाधिक तेजी से आर्थिक विकास हासिल करने वाले देशों में शुमार रहा। एक मजबूत शिक्षा प्रणाली और शिक्षित आबादी ने प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में देश को नया मुकाम हासिल करने में योगदान दिया, जो अंतत: देश के तेज आर्थिक विकास के रूप में सामने आया। वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल की अनिश्चितताओं के बीच दक्षिण कोरिया ने आजादी के इन वर्षों में प्रौद्योगिकी उत्पादों के प्रोडक्‍शन और निर्यात पर ही ध्‍यान केंद्र‍ित रखा।

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