IAC Vikrant: इन हथियारों और 'फाइटर प्लेन' से लैस होगा 'आईएसी विक्रांत', 20 हजार करोड़ की लागत से हुआ है तैयार

देश
रवि वैश्य
Updated Sep 02, 2022 | 08:38 IST

IAC Vikrant Weapons: पीएम मोदी कोचीन शिपयार्ड में 20,000 करोड़ रुपये की लागत से बने स्वदेशी अत्याधुनिक स्वचालित यंत्रों से युक्त विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत का जलावतरण करेंगे।

IAC Vikrant भारत की सुरक्षा के नजरिए से बेहद अहम 
इन हथियारों और 'फाइटर प्लेन' से लैस होगा IAC Vikrant  |  तस्वीर साभार: Twitter
मुख्य बातें
  • 20 हजार करोड़ की आई लागत
  • पहले विमानवाहक विक्रांत पर रखा गया नाम
  • विक्रांत पर तैनात होंगे 20 फाइटर प्लेन

Indigenous Aircraft Carrier IAC Vikrant: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोचीन में शुक्रवार को पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत 'आईएनएस विक्रांत' (INS Vikrant) का जलावतरण करेंगे, जो भारत के समुद्री इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा जहाज है।भारतीय नौसेना के वाइस चीफ वाइस एडमिरल एस एन घोरमडे ने पहले कहा था कि आईएनएस विक्रांत हिंद-प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने में योगदान देगा। उन्होंने कहा कि आईएनएस विक्रांत पर विमान उतारने का परीक्षण नवंबर में शुरू होगा, जो 2023 के मध्य तक पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि मिग-29 के जेट विमान पहले कुछ वर्षों के लिए युद्धपोत से संचालित होंगे।

भारतीय नौसेना के संगठन, युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो  द्वारा डिजाइन किया गया और बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्रालय के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के शिपयार्ड कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित स्वदेशी विमान वाहक का नाम उसके शानदार पूर्ववर्ती भारत के पहले विमानवाहक के 'विक्रांत' के नाम पर रखा गया है, जिसने 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम

आईएनएस विक्रांत का सेवा में आना रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। विक्रांत के सेवा में आने से भारत अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस जैसे उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो जाएगा जिनके पास स्वदेशी रूप से डिजाइन करने और एक विमान वाहक बनाने की क्षमता है, जो भारत सरकार की 'मेक इन इंडिया' (Make In India) पहल का एक वास्तविक प्रमाण होगा। विक्रांत के जलावतरण के साथ, भारत के पास सेवा में मौजूद दो विमानवाहक जहाज होंगे, जो देश की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेंगे।

विक्रांत पर तैनात होंगे  20 Fighter Plane

यह स्वदेश निर्मित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (HAL) और हल्के लड़ाकू विमान (LCA) के अलावा मिग-29 के लड़ाकू जेट, कामोव-31 और एमएच-60 आर बहु-भूमिका वाले हेलीकॉप्टरों सहित 30 विमानों से युक्त एयर विंग को संचालित करने में सक्षम होगा।वाइस एडमिरल ने बताया कि विक्रांत पर 30 एयरक्राफ्ट तैनात होंगे, जिनमें 20 लड़ाकू विमान (Fighter Plane) होंगे और 10 हेलीकॉप्टर होंगे। ग्लोबल फॉयर पॉवर इंडेक्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत इस समय सैन्य क्षमता के मामले में दुनिया का चौथा सबसे शक्तिशाली देश है। जबकि चीन तीसरा सबसे शक्तिशाली देश है। वहीं अगर नौसेना की बात की जाय तो भारत के पास चीन की तरह ही अब 2 एयरक्रॉफ्ट कैरियर होंगे। 

IAC Vikrant भारत की सुरक्षा के नजरिए से बेहद अहम 

इसके जरिए हिंद महासागर में चीन की स्ट्रिंग ऑफ पर्ल रणनीति पर नकेल कसा जा सकेगा। स्ट्रिंग ऑफ पर्ल रणनीति के तहत चीन भारत के चारों ओर अपने नौसैनिक अड्डों का ऐसा बेस बना रहा है। साथ ही इसके जरिए वह एशिया प्रशांत क्षेत्र से होने वाले व्यापार पर भी,नियंत्रण रखना चाहता है। इसके लिए वह दक्षिण एशिया के छोटे-छोटे देशों में सामरिक एवं आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नौसैनिक अड्डों का निर्माण कर रहा है।

इसमें वह बांग्‍लादेश, म्‍यामांर में नौसैनिक बेस की स्‍थापना में मदद कर रहा है। इसके अलावा  चीन मालदीव में भारत से बेहद करीब एक कृत्रिम द्वीप भी बना रहा है। इसी तरह उसने श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह को 99 साल के लिए लीज पर ले लिया है। वहीं वह पाकिस्‍तान के ग्‍वादर पोर्ट को नेवल बेस के रूप में विकसित कर रहा है। जाहिर है चीन की इस रणनीति से निपटने में भारत का IAC विक्रांत बेहद कारगर हो सकता है। 

जरा एक निगाह डाल लें IAC Vikrant की इन खासियतों पर-

  • इसमें ईंधन के लिए 250 टैंकर लगे हुए हैं।
  • ओलंपिक के 2 स्वीमिंग पूल के साइज का हैंगर है।
  • एयरक्रॉफ्ट में 2400 कंपार्टमेंट हैं।
  • 24000 किलोवॉट बिजली उत्पादन 
  • IAC विक्रांत साइज में दो फुटबॉल फील्ड के बराबर है।
  • इसकी ऊंचाई 18 मंजिल की इमारत के बराबर है।
  • 1600 क्रू मेंबर रह सकते हैं।
  • किचन में एक घंटे में 3000 रोटियां बन सकती है।
  • 16 बेड वाला अस्पताल है।

विक्रांत का अर्थ विजयी और वीर होता है

स्वदेशी विमानवाहक (IAC) की नींव अप्रैल 2005 में औपचारिक स्टील कटिंग द्वारा रखी गई थी।विमान वाहक बनाने के लिए खास तरह के स्टील की जरूरत होती है जिसे वॉरशिप ग्रेड स्टील (WGS) कहते हैं। स्वदेशीकरण अभियान को आगे बढ़ाते हुए आईएसी के निर्माण के लिए आवश्यक वॉरशिप ग्रेड स्टील को रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (DRDL) और भारतीय नौसेना के सहयोग से स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के माध्यम से सफलतापूर्वक देश में बनाया गया था।

इसके बाद जहाज के खोल  का काम आगे बढ़ा और फरवरी 2009 में जहाज के पठाण (नौतल, कील) का निर्माण शुरू हुआ यानी युद्धपोत के निर्माण की प्रक्रिया आगे बढ़ी। पठाण, जहाज का सबसे नीचे रहनेवाला बुनियादी अवयव है, जिसके सहारे समस्त ढांचा खड़ा किया जाता है।

18 समुद्री मील से लेकर 7500 समुद्री मील की दूरी कर सकता है तय 

जहाज निर्माण का पहला चरण अगस्त 2013 में जहाज के सफल प्रक्षेपण के साथ पूरा हुआ। 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा आईएनएस विक्रांत 18 समुद्री मील से लेकर 7500 समुद्री मील की दूरी तय कर सकता है।जहाज में लगभग 2,200 कक्ष हैं, जिन्हें चालक दल के लगभग 1,600 सदस्यों के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें महिला अधिकारियों और नाविकों को समायोजित करने के लिए विशेष केबिन शामिल हैं।

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।

अगली खबर