राजस्थान और मध्यप्रदेश के किसानों की शिकायत है की उनको खेती के लिए खाद नहीं मिल रही है.. पहले बिजली की समस्या से जूझ रहे किसानों को अब खाद के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। ऐसे में टाइम्स नाउ नवभारत की टीम ने इसकी हकीकत जानने के लिए केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय से संपर्क किया और जानने का प्रयास किया की वाकई हकीकत क्या है। चलिए सबसे पहले उन राज्यों के बारे में समझ लेते हैं जहाँ से किसानों की सबसे ज्यादा शिकायते आ रही है।सबसे पहले बात राजस्थान की , केन्द्र सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के मुताबिक अक्टूबर महीने में राजस्थान में खाद की जरूरत थी 150 टन की , जिसमें भारत सरकार की तरफ से 130 टन उनको उपलब्ध कराया जा चुका है.. जिसमें से केवल 70 टन की बिक्री हुई है ..यानि अभी भी राजस्थान सरकार के पास 60 टन खाद उपलब्ध है।
खाद संकट क्या बनावटी है
अब सबसे बड़ा सवाल ये है की जब राजस्थान सरकार के पास खाद उपलब्ध है तो किसानों को खाद क्यों नहीं मिल पा रही है.. क्या खाद की कोई कालाबाजारी कर रहा है ..क्या एक जिले से दूसरे जिले में उपलब्धता सुनिश्चित करने में कहीं रह जा रही है... इसके लिए कौन जिम्मेदार है ? अब बात करते हैं.. मध्यप्रदेश की , मध्यप्रदेश को अक्टूबर महीने में 4 लाख टन खाद की जरूरत थी जिसमें से केन्द्र सरकार ने 244 टन उनको उपलब्ध करा दिया है , 60 हजार टन और अतिरिक्त खाद मध्यप्रदेश सरकार को उपलब्ध कराई जा रही है केंद्र सरकार की तरफ से .. 244 टन में से केवल 75 हजार टन खाद की बिक्री अभी तक हुई है ।
खाद की कमी नहीं हो रही है कालाबाजारी
ये सारे आंकड़े उच्च पदस्थ सूत्रों से टाइम्स नाउ नवभारत को मिले है... इन आकड़ो को देखने के बाद तस्वीर साफ है की खाद की कमी तो नहीं है लेकिन कही न कहीं खाद की कालाबाजारी हो रही है जिससे किसानों को खाद नहीं मिल रही है , ऐसे में इन लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए , केन्द्र सरकार की तरफ से राज्यों को अनुरोध किया गया है की आप खाद की कालाबाजारी न होने दे हरियाणा, पंजाब ,उत्तर प्रदेश के पास पर्याप्त खाद है केवल वितरण में दिक्कत होने की वजह से ऐसी तस्वीरें सामने आ रही हैं।
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