Jagannath Rath Yatra: पुरी के गजपति महाराज दिव्यसिंह देव की अपील, ओडिशा सरकार सुप्रीम कोर्ट में लगाए अर्जी

देश
आईएएनएस
Updated Jun 21, 2020 | 17:22 IST

Supreme Court did not allow Jagannath Rath Yatra:कोरोना वायरस को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा में रथयात्रा नहीं निकालने की इजाजत दी है। लेकिन इस संबंध में ओडिशा सरकार से सुधार याचिका लगाने की अपील की गई है।

Jagannath Rath Yatra: पुरी के गजपति महाराज दिव्यसिंह देव की अपील, ओडिशा सरकार सुप्रीम कोर्ट में लगाए अर्जी
पुरी में निकाली जाती है भगवान जगन्नाथ रथयात्रा (फाइल तस्वीर) 
मुख्य बातें
  • कोरोना संक्रमण को देखते हुए ओडिशा में रथयात्रा की मनाही, भगवान जगन्नाथ रथयात्रा भी नहीं निकलेगी, सुप्रीम कोर्ट का आदेश
  • पूरी के गजपति महाराज दिव्यसिंह देव ने ओडिशा सरकार से की सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाने की अपील की
  • पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने भी सुप्रीम कोर्ट से लगाई गुहार

नई दिल्ली।  ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के बाद अब ओडिशा सरकार पर अदालत के फैसले के खिलाफ अपील करने का दबाव बढ़ने लगा है। पुरी के गजपति महाराज दिव्यसिंह देव ने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को पत्र लिखकर अपील की है कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले में सुधार के लिए शीर्ष अदालत में तुरंत अपील करें।गजपति महाराजा दिव्यसिंह देव पुरी के महाराजा हैं। गजपति महाराज को भगवान जगन्नाथ का प्रथम सेवक भी कहा जाता है, साथ ही प्रथम सेवक को पुरी का ठाकुर राजा भी कहते हैं। पौराणिक मतों के अनुसार, गजपति महाराज को भगवान जगन्नाथ का जीवित परछाई भी कहा जाता है। वह जगन्नाथ मंदिर समन्वय समिति के चेयरमैन भी हैं।

जगन्नाथ रथयात्रा के लिए सामाजिक दूरा का था सुझाव
गौरतलब है कि जगन्नाथ मंदिर समिति के चेयरमैन होने के नाते उन्होंने ओडिशा सरकार को 5 जून को एक पत्र लिखा था, जिसमें कोरोना महामारी के दौरान जगन्नाथ रथयात्रा के लिए उन्होंने कुछ सुझाव दिए थे। पत्र में इस बात का भी जिक्र किया गया था कि सामाजिक दूरी रखते हुए पुरी में जगन्नाथ यात्रा पूरी की जा सकती है।जगन्नाथ पुरी मंदिर समिति ने कहा है कि गजपति महाराज जगन्नाथ पुरी मंदिर के प्रथम सेवक भी हैं कुछ समय पहले राज्य के कानून सचिव को जो उन्होंने सुझाव दिए थे, उनको नजरअंदाज किया गया। समिति ने कहा है कि इससे पहले पुरी में उत्कल वंदे कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जिसमें 15000 लोगों ने सामाजिक दूरी रखते हुए कार्यक्रम में भाग लिया था। ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग को देखते हुए कुछ सुझावों के साथ रथयात्रा की परंपरा निभाई जा सकती थी।

पुरी के शंकराचार्य की सुप्रीम कोर्ट से अपील
इस बीच,पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि वह इस मसले पर एक बार फिर से विचार करे। उन्होंने कहा कि अदालत के फैसले से करोड़ों भक्तों की भावना को ठेस पहुंचेगी।गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार के अपने फैसले में पुरी में 23 जून से शुरू होने वाली भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा पर को रोक लगा दी है। प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे ने कहा था, अगर कोरोना के बीच हमने इस साल रथयात्रा की इजाजत दी तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने रथयात्रा की नहीं दी है इजाजत
प्रधान न्यायाधीश की पीठ ने ओडिशा सरकार से कहा था कि इस साल राज्य में कहीं भी रथयात्रा से जुड़े जुलूस या कार्यक्रमों की इजाजत न दी जाए।सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला भुवनेश्वर के एक एनजीओ ओडिशा विकास परिषद की याचिका पर दिया था। याचिका में कहा गया था कि रथयात्रा में हजारों लोग शामिल होते हैं, जिससे कोरोना फैलने का खतरा रहेगा। शीर्ष अदालत का तर्क है कि अगर लोगों की सेहत को ध्यान में रखकर अदालत दीपावली में पटाखे जलाने पर रोक लगा सकती है तो रथयात्रा पर रोक क्यों नहीं लगाई जा सकती?

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