श्रीनगर : जम्मू एवं कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अहम प्रावधनों को नष्ट किए जाने के बाद यहां के हालात की तस्वीरों के लिए तीन फोटो पत्रकारों को पुलित्जर पुरस्कार मिला है। यूं तो पत्रकारिता क्षेत्र में इसे काफी प्रतिष्ठित माना जाता है, लेकिन कश्मीर की जिन तस्वीरों को लेकर यह पुरस्कार दिया गया है, उस पर विवाद पैदा हो गया है। अब जम्मू कश्मीर के एक पुलिस अधिकारी ने इस पर 'पुलित्जर लॉबी' को आड़े हाथों लिया है और एक शहीद पुलिसकर्मी की बेटी की तस्वीर पोस्ट करते हुए कुछ सवाल किए हैं।
पुलिस अफसर ने शेयर की तस्वीर
यह तस्वीर जम्मू कश्मीर के एक सीनियर पुलिस अधिकारी इम्तियाज हुसैन मीर ने शेयर की है, जिसमें शहीद पुलिसकर्मी की बेटी रोती-बिलखती नजर आ रही है। यह तस्वीर किसी को भी रुला देने वाली है। उस पुलिसकर्मी की जान 2017 में कश्मीर में हुए एक आतंकी हमले में चली गई थी। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, 'मानवता की अंतरात्मा को झकझोर कर रख देने वाली तस्वीर... 2017 में कश्मीर में शहीद हुए एक पुलिसकर्मी की शोक संतप्त बेटी। क्या इस तस्वीर के लिए कोई पुरस्कार है?
इन लोगों को मिला है पुरस्कार
उनका यह ट्वीट जम्मू कश्मीर के तीन फोटो जर्नलिस्ट चन्नी आनंद, मुख्तार खान और डार यासिन को 2020 का पुलित्जर पुरस्कार दिया गया है। एसोसिएट प्रेस से संबद्ध इन फोटो पत्रकारों को कश्मीर में बंद की स्थिति में जीवन को दर्शाने वाली तस्वीरों को लेकर दिया गया है। ये तस्वीरें कश्मीर में 370 के अहम प्रावधानों को नष्ट किए जाने के अगस्त 2019 के भारत सरकार के फैसले के बाद ली गई थीं।
सियासी विवाद
इस मसले पर सियासी विवाद भी पैदा हो गया है। जहां राहुल गांधी ने मंगलवार को फोटो पत्रकारों को बधाई देते हुए कहा था कि आपने हम सभी को गौरवान्वित किया है, वहीं बीजेपी नेता संबित पात्रा ने पलटवार करते हुए कहा था कि ये तस्वीरें भारत-विरोधी भावनाओं को प्रदर्शित करती हैं।
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