नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार संकट में है। कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफा दिया है जिसमें से बेंगलुरु में मौजूद 19 विधायकों के इस्तीफे को नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने स्पीकर एन प्रजापित को सौंपा। 19 विधायकों के इस्तीफे को सौंपने के बाद स्पीकर ने कहा कि वो नियम के तहत कार्रवाई करेंगे। अब सवाल यह है कि क्या वो भी कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष के आर रमेश कुमार के रास्ते का अनुसरण करेंगे।
क्या कर्नाटक की राह पर जाएगा मध्य प्रदेश
दरअसल जब कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों ने इस्तीफा दिया तो उस पर फैसला के लिए उन्होंने वक्त लिया था और कुमारस्वामी सरकार को कुछ दिन की मोहलत मिल गई थी। कर्नाटक के स्पीकर ने कहा था कि वो इस्तीफा देने वाले विधायकों से व्यक्तिगत तौर पर बात करेंगे। यह हो सकता है कि विधायकों पर अनुचित दबाव डाला गया हो। इस तरह से वो कुछ दिनों तक जेडीएस और कांग्रेस की सरकार को मोहलत देने में कामयाब रहे। अगर बात मध्य प्रदेश के स्पीकर एन पी प्रजापति की करें तो यह हो सकता है कि कमलनाथ सरकार को कुछ दिनों की मोहलत मिल जाए।
आंकड़ों के हिसाब से कमलनाथ सरकार अल्पमत में
अगर विधानसभा की मौजूदा गणित की बात करें तो 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस सरकार अल्पमत में है। कांग्रेस के पास कुल 114 विधायक थे जो अब घटकर 92 रह गए हैं। लेकिन बताया जा रहा है कि कमलनाथ की बैठक में चार और विधायक नहीं शामिल हुए इसका अर्थ ये है कि अब उनके पास सिर्फ 88 विधायकों का समर्थन हासिल है। अगर इन्हीं आंकड़ों को अंतिम माना जाए तो कांग्रेस सरकार गिरती हुई नजर आ रही है।
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