कोझिकोड : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर देशभर में मचे घमासान के बीच अब कांग्रेस के दिग्गज नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने भी कहा है कि कोई भी राज्य यह नहीं कर सकता कि वह इस संशोधित कानून को लागू नहीं करेगा। ऐसा करना असंवैधानिक होगा।
सिब्बल केरल लिटरेचर फेस्ट के तीसरे दिन शनिवार को इसमें शामिल हुए थे, जिस दौरान उन्होंने सीएए को लेकर यह बात कही। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है, जबकि केंद्र सरकार और बीजेपी के कई नेता यह कहते रहे हैं कि सीएए पूरे देश में लागू होता है और कोई भी राज्य इसे लागू करने से इनकार नहीं कर सकता।
सिब्बल ने कहा, 'अगर सीएए को संसद ने पारित कर दिया है तो कोई भी राज्य यह नहीं कह सकता कि वह इसे लागू नहीं करेगा। यह संभव नहीं है और यह असंवैधानिक भी है। आप इसका विरोध कर सकते हैं। आप विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर सकते हैं और केंद्र सरकार से इसे वापस लेने की मांग कर सकते हैं, लेकिन यह नहीं कह सकते कि हम इसे लागू नहीं करेंगे। इससे संवैधानिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं।'
सिब्बल का यह बयान ऐसे समय में आया है, जबकि पश्चिम बंगाल, केरल, पंजाब, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों ने सीएए के खिलाफ अपना मत व्यक्त किया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही कह चुकी हैं कि वह अपने राज्य में न तो सीएए लागू करेंगी और न ही एनआरसी लागू होने देंगी।
केरल विधानसभा ने इस कानून के खिलाफ एक प्रस्ताव भी पारित किया है और संशोधित कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी है। केरल ऐसा करने वाला पहला राज्य बन गया है। उसका कहना है कि नागरिकता कानून में जो संशोधन किया गया है वह संविधान के समानता, स्वतंत्रता व धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन है। केरल के बाद पंजाब विधानसभा ने भी शुक्रवार को इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया और केंद्र सरकार से इस विवादास्पद कानून को वापस लेने या इसे स्वीकार करने के लिए इसमें कुछ संशोधन करने के सुझाव दिए हैं।
सिब्बल ने जहां सीएए पर केंद्र और राज्य के बीच टकराव की स्थिति में संवैधानिक उलझनों पर बात की, वहीं संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन को 'नेता' और 'भारत के लोगों' के बीच का संघर्ष बताया। उन्होंने कहा, 'आज देशभर में जो प्रदर्शन हो रहे हैं, उसकी अगुवाई छात्र, गरीब, मध्यम वर्ग के लोग कर रहे हैं, न कि कोई राजनीतिक पार्टी। देश के बाहर और भीतर भी लोगों को महसूस हो रहा है कि यह राजनीति नहीं, बल्कि वास्तविकता है। प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतरे लोग किसी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़े हैं। वे अपनी देश के लिए अपनी चिंता, नाराजगी को दर्शा रहे हैं।'
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