केदारनाथ मंदिरः गर्भगृह में गोल्ड प्लेटिंग का पुजारियों ने किया विरोध- ड्रिलिंग मशीन से दीवारों को नुकसान, छेड़छाड़ न करेंगे बर्दाश्त

मंदिर में दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने की प्रक्रिया तब शुरू हुई थी, जब महाराष्ट्र के एक शिव भक्त ने स्वेच्छा से इस उद्देश्य के लिए सोना देने की पेशकश की थी।

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तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।  |  तस्वीर साभार: IANS
मुख्य बातें
  • पुजारी इस मुद्दे पर बंटे नजर आए
  • कुछ पुरोहित जीर्णोद्धार कार्य के पक्ष में
  • कहा- सौंदर्यीकरण एक सामान्य प्रथा

उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर में पुजारियों के एक धड़े ने गर्भगृह में दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने का विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि यह चीज मंदिर की सदियों पुरानी परंपराओं के साथ छेड़छाड़ है। गोल्ड प्लेटिंग (सोने की परत चढ़ाने) का विरोध करते हुए तीर्थ पुरोहित बोले कि इस प्रक्रिया में बड़ी ड्रिलिंग मशीन के इस्तेमाल से मंदिर की दीवारों को नुकसान हो रहा है। 

केदारनाथ में संतोष त्रिवेदी नाम के पुजारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘सोने की परत चढ़ाने से मंदिर की दीवारों को नुकसान पहुंचा रहा है। इसके लिए बड़ी ड्रिलिंग मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। हम मंदिर की सदियों पुरानी परंपराओं के साथ इस छेड़छाड़ को बर्दाश्त नहीं कर सकते।’’ वैसे, पुजारी इस मुद्दे पर बंटे नजर आए। ऐसा इसलिए, क्योंकि कुछ सीनियर पुजारी मंदिर के गर्भगृह के अंदर जीर्णोद्धार कार्य के पक्ष में हैं। 

'विरोध जायज नहीं है, क्योंकि...'
मंदिर के वरिष्ठ पुजारी श्रीनिवास पोस्ती और केदार सभा के पूर्व अध्यक्ष महेश बगवाड़ी ने कहा कि मंदिर सनातन आस्था का एक प्रमुख केंद्र है और इसकी दीवारों पर सोना चढ़ाना हिंदू मान्यताओं और परंपराओं के अनुरूप है। बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि मंदिर की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने का विरोध जायज नहीं है, क्योंकि यह मूल ढांचे से छेड़छाड़ किए बिना परंपराओं के अनुसार किया जा रहा है।

सौंदर्यीकरण एक सामान्य प्रथा- दूसरे पुजारी
उन्होंने कहा, ‘‘समय-समय पर मंदिर का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण एक सामान्य प्रथा है। कुछ गिने चुने पुजारी इसका विरोध कर सकते हैं, लेकिन उनके प्रतिनिधि निकायों ने कभी इसका विरोध नहीं किया। दशकों पहले मंदिर की छत घास और लकड़ियों से बनाई जाती थी। जैसे-जैसे समय बदलता गया पत्थरों से और फिर तांबे की चादरों से इसका निर्माण हुआ।’’

ये सब ‘विपक्षी दुष्प्रचार’ का हिस्साः BKTC चीफ
बीकेटीसी अध्यक्ष ने विरोध को ‘‘विपक्षी दुष्प्रचार’’ का हिस्सा करार दिया। अजय ने कहा, ‘‘पूरे देश में हिंदू मंदिर भव्यता के प्रतीक हैं। हिंदू देवी-देवताओं को सोने और  आभूषण से सजाना हमारी परंपराओं का हिस्सा रहा है। मुझे मंदिर की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने में कुछ भी गलत नहीं दिखता।’’ उन्होंने कहा कि मंदिर की दीवारों पर सोना चढ़ाने से पहले बीकेटीसी ने राज्य सरकार से भी अनुमति ली थी।

क्यों हो रही है मंदिर में गोल्ड प्लेटिंग?
दरअसल, मंदिर की दीवारों को चांदी की परत से ढका गया था, जिन्हें हटाकर उनकी जगह फिलहाल सोने की परत चढाई जा रही है। मंदिर में दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने की प्रक्रिया तब शुरू हुई थी, जब महाराष्ट्र के एक शिव भक्त ने स्वेच्छा से इस उद्देश्य के लिए सोना देने की पेशकश की थी। उनके प्रस्ताव को बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) ने राज्य सरकार की अनुमति से स्वीकार कर लिया था।  

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