चीन का लद्दाख में हॉट स्प्रिंग और गोगरा से हटने से इनकार कुटिलता से बोला-भारत को जो मिला उसमें खुश रहे!

China's U-Tern:चीन ने लद्दाख में हॉट स्प्रिंग और गोगरा से हटने से इनकार कर दिया है और कहा जा रहा है कि चीन ने कहा है कि भारत को जो मिला, उसमें खुश रहे।

Ladakh Disengagement
भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर विवाद पिछले साल मई में शुरू हुआ था 
मुख्य बातें
  • चीन ने हाट स्प्रिंग, देपसांग मैदान और गोगरा पोस्‍ट से अपने सैनिकों को हटाने से इनकार कर दिया 
  • कहा जा रहा है कि चीन ने कहा है कि भारत को जो मिला, उसमें खुश रहे
  • 15 जून को लद्दाख के गलवान घाटी में भी भारत और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी

भारत और चीन के बीच तनाव कोई नई बात नहीं है साल 1962 में  दोनों देशों के बीच युद्ध भी हो चुका है, मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कहा जा रहा है कि अनुसार नौ अप्रैल को दोनों देशों के बीच हुई कमांडर स्तरीय बातचीत के बाद चीन ने हॉट स्प्रिंग और गोगरा पोस्ट से अपने सैनिक पीछे हटाने से इंकार कर दिया है।

इंडियन एक्‍सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 9 अप्रैल को हुई कोर कमांडर स्‍तर की ताजा बातचीत में चीन ने हाट स्प्रिंग, देपसांग मैदान और गोगरा पोस्‍ट से अपने सैनिकों को हटाने से इनकार कर दिया है। चीन पहले इन इलाकों से हटने को राजी हो गया था, कहा तो ये भी जा रहा है कि चीन ने कहा है कि भारत को जो मिला, उसमें खुश रहे।

इससे देपसांग प्लेन समेत इन इलाके के सैनिकों की तैनाती दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति बन रही है।इससे पहले फरवरी महीने में भारत और चीन की सेनाएं पैंगोंग झील और कैलाश रेंज से पीछे हट गई थीं और अन्‍य विवादित स्‍थलों को लेकर बातचीत करने पर सहमति बनी थी।

LAC पर विवाद पिछले साल मई में शुरू हुआ था

भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर विवाद पिछले साल मई में शुरू हुआ था, जब चीन ने लद्दाख के अक्साई चिन की गलवान घाटी में भारत की ओर से सड़क निर्माण को लेकर आपत्ति जताई थी 5 मई को भारतीय सेना और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प होने के बाद सैन्य गतिरोध पैदा हो गया था। 

गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई थी झड़प 

इसके बाद 15 जून को लद्दाख के गलवान घाटी में भी भारत और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। सूत्रों ने बताया कि डेपसांग के मुद्दे को सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता में बाद में शामिल किया गया, पूरे विवाद के दौरान डेपसांग में कुछ नहीं हुआ, यहां चीनी सैनिक आते हैं और पेट्रोलिंग के हमारे रास्ते में बाधा बनते हैं।

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