बलात्कारियों की दया याचिका का अधिकार खत्म होना चाहिए- राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

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Updated Dec 06, 2019 | 14:52 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराध करने वाले आरोपियों की दया याचिका के अधिकार को खत्म करने की वकालत की है।

President Kovind says do away with mercy pleas
रेपिस्ट की दया याचिका का अधिकार खत्म होना चाहिए- राष्ट्रपति  |  तस्वीर साभार: Times Now
मुख्य बातें
  • राष्ट्रपति कोविंद ने की रेपिस्ट को मिलने वाली दया याचिका के अधिकार को खत्म करने की मांग
  • ब्रह्मकुमारीज के दो दिवसीय सम्मलेन के दौरान राष्ट्रपति ने कहा- संसद कानून पर करे पुर्नविचार
  • शुक्रवार को ही हैदराबाद में एक महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार के आरोपियों को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था

नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बलात्कार के आरोपियों को संविधान में प्रदत्त दया याचिका के अधिकार को खत्म करने की वकालत की है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ब्रह्माकुमारीज संस्थान के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय माउंट आबू में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए। महिला सशक्तिकरण पर आयोजित इस दो दिवसीय सम्मेलन में कई गणमान्य अतिथि शिरकत कर रहे हैं।

 इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा, 'बेटियों पर होने वाले अश्लील प्रहारों की वारदातें देश को झकझोर कर देती हैं। लड़कों में महिलाओं के प्रति सम्मान की भावना बढ़ाने की जिम्मेदारी हर माता, पिता, नागरिक और आप तथा मेरी है। इसी संदर्भ में कई बाते आ रही हैं। इस प्रकार के जो अपराधी होते हैं उन्हें संविधान में एक दया याचिका का अधिकार दिया गया है। मैंने कहा है कि आप इस पर पुर्निविचार करिए।'

राष्ट्रपति ने कहा, 'दया याचिका में जो अपराधी पॉक्सो के एक्ट के तहत जो घटनाएं होती हैं उन्हें दया याचिका के अधिकार से वंचित किया जाए। उन्हें इस तरह के किसी भी अधिकार की जरूरत नहीं है। यह सब संसद पर निर्भर करत है क्योंकि इसमें संविधान है और संविधान में संशोधन की जरूरत है। लेकिन उस दिशा में हम सबकी सोच आगे बढ़ रही है।'

क्या है दया याचिका का अधिकार
दरअसल संविधान के अनुच्छेद 72 में राष्ट्रपति को कुछ अधिकार दिए गए हैं जिसमें अपराधियों को क्षमा करने का भी अधिकार दिया गया है। ये वो अपराधी होते हैं जिन्हें अदालत द्वारा जघन्य मामलों में सजा दी जाती है जिसमें मौत, आजीवन करावास जैसे दंड शामिल हैं। इस प्रावधान के द्वारा राष्ट्रपति कोर्ट से दोषी ठहराये गए आरोपी को आरोपों से मुक्त कर सकते हैं, या कम कर सकते हैं या फिर मौत की सजा को आजीवन कारावास की सजा में भी बदल सकते हैं।

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