मुंबई: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में लंबी उहापोह के बाद राज्य की सत्ता पर शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन की सरकार शासन कर रही है और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के हाथ सीएम पद की बागडोर है,अपनी सरकार का पहला कैबिनेट एक्सपेंशन उद्धव ठाकरे सरकार ने किया इसके बाद से नाराज विधायकों के बगावती सुर सामने आने लगे हैं।
इस कैबिनेट विस्तार में एनसीपी विधायक प्रकाश सोलंके को जगह नहीं मिल सकी, सोलंके एनसीपी के चार बार के विधायक हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कहा जा रहा है कि प्रकाश सोलंके की नाराजगी सामने आ गई और महाराष्ट्र की मजलगांव सीट से एनसीपी विधायक प्रकाश सोलंके का कहना है कि वो विधानसभा सदस्य के रूप में इस्तीफा देंगे। सोलंके का कहना है कि वह राजनीति करने के लिए अयोग्य हैं।
हालांकि अपनी इस बात को वो महाराष्ट्र कैबिनेट विस्तार से जोड़ने से इंकार करते हैं। वहीं सोमवार को उद्धव ठाकरे ने अपने कैबिनेट का विस्तार किया और 36 मंत्रियों ने शपथ ली। आदित्य ठाकरे भी पिता के कैबिनेट में मंत्री बन गए हैं। लेकिन संजय राउत शपथ ग्रहण समारोह में अनुपस्थित थे।
संजय राउत भी शपथग्रहण में नहीं पहुंचे थे
शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन के पीछे राउत की भूमिका अहम मानी जाती है। बीजेपी के खिलाफ सबसे ज्यादा मुखर रूप इन्होंने ही अपनाया था। वही जब शपथ ग्रहण समारोह में नहीं पहुंचे तो ये सवाल उठे कि वो चाहते थे कि उनके भाई सुनील राउत को मंत्री बनाया जाए। सुनील राउत मुंबई में विक्रोली से विधायक हैं और उन्हें मंत्री बनाए जाने की उम्मीद थी।
इस पर पत्रकारों से बात करते हुए संजय राउत ने पार्टी के प्रति वफादारी के बारे में बात की। रिपोर्ट है कि कई अन्य विधायक भी मंत्री पद के लिए अनदेखी किए जाने से नाराज हैं। प्रताप सरनाइक, तानाजी सावंत, सुनील प्रभु, रवींद्र वायकर और भास्कर जाधव के साथ शिवसेना के वरिष्ठ नेता रामदास कदम शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुए।
महाराष्ट्र कैबिनेट विस्तार 30 दिसंबर को हुआ
गौरतलब है कि महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने के एक महीने बाद उद्धव ठाकरे ने अपने कैबिनेट का विस्तार 30 दिसंबर को किया था। इससे पहले पिछले महीने 28 तारीख को, शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस ने मिलकर गठबंधन बनाया था और उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। तब उद्धव के साथ 6 मंत्रियों - एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना के दो-दो लोगों ने भी मंत्री पद की शपथ ली थी।
विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ लड़ने वाली शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद को लेकर गठबंधन तोड़ दिया था। बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को बहुमत मिला था।
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