नई दिल्ली: देश इस समय कोरोना महामारी से जूझ रहा है, हालांकि पहले की तुलना में नए मामले आने कम हुए हैं लेकिन खतरा टला नहीं है। ऐसे में हर किसी की नजर कोरोना वैक्सीन पर टिकी है। देश में विभिन्न कंपनियां इस समय वैक्सीन के ट्रायल फेज में हैं। इन सबके बीच ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की 130 करोड़ से अधिक आबादी को टीका लगाने के लिए भारत सरकार ने लगभग 50,000 करोड़ रुपये (7 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की व्यवस्था की है। सरकार का अनुमान है कि एक व्यक्ति को टीका देने के लिए करीब 420 रुपये से अधिक खर्च होंगे।
इतना आएगा खर्चा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशासन का अनुमान है कि 1.3 बिलियन की आबादी वाले देश में प्रति व्यक्ति लगभग 6-7 $ डॉलर (440 रुपये 520) की लागत का खर्चा आएगा। यह धनराशि 31 मार्च को समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष के लिए अलग से रखी गई है और इस उद्देश्य के लिए आगे धन की कोई कमी नहीं होने की बात कही गई है। ब्लूमबर्ग ने वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता से फोन पर संपर्क साधने की कोशिश की गई, लेकिन इस मामले पर प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है।
सरकार के पास पावर
सेंटर फॉर डिसीज़ डायनेमिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी, वाशिंगटन के दिल्ली स्थित कार्यालय के निदेशक रमनन लक्ष्मीनारायण ने बताया, 'यहां बड़ी संख्या में खरीददार हैं, और बड़ी संख्या में विक्रेता भी हैं। इसमें मोलभाव की भी संभावना है जिससे कीमत और कम हो सकती है और ऐसी स्थितियों में सरकार के पास अधिक शक्ति होती है।'
सीरम के सीईओ ने कही ये बात
दुनिया के सबसे बड़े निर्माता, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के प्रमुख अदार पूनावाला ने भविष्यवाणी की है कि देश को हिमालय से लेकर सुदूर अंडमान और निकोबार द्वीपों तक हर जगह रहने वाले लोगों तक वैक्सीन पहुंचाने के लिए लगभग 800 अरब रुपये की आवश्यकता होगी। उपचार खरीदने के अलावा, उन्हें विनिर्माण स्थलों से परिवहन द्वारा पहुंचाना भी चुनौती होगी। सरकार की एक समिति का मानना है कि भारत में कोरोना का पीक समय जा चुका है और फरवरी 2021 तक यह नियंत्रण में आ जाएगा।
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