दिल्‍ली चुनाव में फिर शून्‍य पर सिमटी कांग्रेस में खलबली, इस्‍तीफों पर सोनिया गांधी ने लगाई मुहर

दिल्‍ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस एक बार फिर खाता भी नहीं खोल पाई। शीला दीक्षित के नेतृत्‍व में लगातार 15 वर्षों तक दिल्‍ली में राज करने वाली कांग्रेस की इस हालत से पार्टी में बगावत के सुर भी उठने लगे हैं।

Sonia Gandhi accepts resignation of PC Chacko, Subhash Chopra after delhi election debacle
दिल्‍ली नतीजों के बाद कांग्रेस में हलचल है  |  तस्वीर साभार: BCCL

नई दिल्‍ली : दिल्‍ली चुनाव में एक बार फिर करारी श‍िकस्‍त झेलनी वाली कांग्रेस में खलबली मची है। नतीजों के बाद इस्‍तीफों का दौर शुरू हो गया है, जिसमें सबसे पहले गाज दिल्‍ली कांग्रेस के अध्‍यक्ष सुभाष चोपड़ा और प्रभारी पीसी चाको पर गिरी है। दिल्‍ली चुनाव के नतीजे आने के बाद चाको और चोपड़ा ने अपने पदों से इस्‍तीफा दे दिया था, जिसे कांग्रेस की अंतरिम अध्‍यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को स्‍वीकार कर लिया।

सुभाष चोपड़ा ने मंगलवार को चुनाव नतीजों की घोषणा के बाद ही दिल्‍ली कांग्रेस अध्‍यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, जबकि चाको ने दिल्‍ली में कांग्रेस प्रभारी के पद से बुधवार को ही इस्‍तीफा दिया और द‍िल्‍ली में कांग्रेस की इस दशा के लिए पूर्व मुख्‍यमंत्री (दिवंगत) शीला दीक्षित को जिम्‍मेदार ठहराया। इस्‍तीफे के बाद उन्‍होंने यह भी कहा कि कांग्रेस का वोट बैंक अब पूरी तरह आम आदमी पार्टी के साथ चला गया है।

सुभाष चोपड़ा ने मंगलवार को चुनाव नतीजों की घोषणा के बाद ही दिल्‍ली कांग्रेस अध्‍यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, जबकि चाको ने दिल्‍ली में कांग्रेस प्रभारी के पद से बुधवार को ही इस्‍तीफा दिया और यह भी कहा कि कांग्रेस का वोट बैंक अब पूरी तरह आम आदमी पार्टी के साथ चला गया है। चाको की जगह फिलहाल बिहार प्रदेश कांग्रेस के अध्‍यक्ष शक्ति सिंह गोहिल को दिल्‍ली का अंतरिम कांग्रेस प्रभारी बनाया गया है।

उन्‍होंने मंगलवार को ही ट्वीट कर फैसले लेने में देरी, राज्य स्तरीय रणनीति व एकजुटता की कमी, कार्यकर्ताओं में निराशा, जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़ाव नहीं होने को लेकर पार्टी आलाकमान पर सवाल उठाए थे। बुधवार को एक बार फिर उन्‍होंने ऐसे नेताओं पर सवाल उठाए, जो दिल्‍ली में कांग्रेस की बदहाली पर चिंतित होने की बजाय बीजेपी की हार पर अधिक खुश हो रहे हैं।

दिल्‍ली में शर्मिष्‍ठा और संदीप दीक्षित के बीच सामंजस्‍य नहीं हो पाने की बातें भी सामने आई हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस इस चुनाव में आधे-अधूरे मन के साथ उतरी थी। यहां तक कि उम्‍मीदवारों के नामों की घोषणा भी काफी देरी से की गई। आंतरिक कलह भी प्रमुख वजह रही, जिसके कारण पार्टी को इस शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा।

 

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