लॉकडाउन पार्ट वन से आगे क्या, 130 करोड़ जनता की टिकी नजर

देश
ललित राय
Updated Apr 13, 2020 | 09:42 IST

भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि अगर लॉकडाउन को अमल में नहीं लाया गया होता तो 15 अप्रैल तक कोरोना के कुल मामले आठ लाख से अधिक होते। इसका अर्थ यह है कि लॉकडाउन अपने मकसद में खरा उतरा है।

लॉकडाउन पार्ट वन से आगे क्या, 130 करोड़ जनता की टिकी नजर
पीएम नरेंद्र मोदी  
मुख्य बातें
  • देशभर में कोरोना के मामले 9 हजार के पार
  • महाराष्ट्र सबसे ज्यादा प्रभावित
  • लॉकडाउन को कई राज्यों ने आगे बढ़ाया, 14 अप्रैल को खत्म हो रहा है लॉकडाउन पार्ट वन

नई दिल्ली। देश भर में कोरोना के कुल मामले 9 हजार के पार जा चुके हैं। इस भयावह वायरस की वजह से 300 से ज्यादा लोग जान भी गंवा चुके हैं। अगर देश के अलग अलग राज्यों की बात करें तो महाराष्ट्र सबसे ज्यादा प्रभावित है। इसके बाद दिल्ली में सबसे अधिक केस दर्ज किए गए हैं। यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि पिछले 6 दिनों में कोरोना के केस दोगुने हो गए। इन सबके बीच सबकी नजर इस बात पर टिकी है कि क्या राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन को बढ़ाया जाएगा। बता दें कि ओडिशा, पंजाब, महाराष्ट्र , बंगाल जैसे राज्य 30 अप्रैल तक लॉकडाउन बढ़ाने का ऐलान कर चुके हैं। 

अब जान भी और जहान भी
पीएम नरेंद्र मोदी ने पहले कहा था कि जान है तो जहान है। लेकिन सीएम के साथ बैठक में उन्होंने इस नारे में थोड़ी तब्दीली की और कहा कि जान भी, जहान भी। यहां यह जानना दिलचस्प है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से थ्री एल का नारा दिया गया है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि कोरोना के खिलाफ जंग में हम आजिविका यूं कहें तो आर्थिक गतिविधियों को लंबे समय तक रोक नहीं सकते हैं। भारत को इस दिशा में भी सोचना होगा। 

लॉकडाउन पर सभी राज्यों में सहमति
कोरोना के खिलाफ अगर लड़ाई की बात करें तो सभी राज्य सरकारों का कहना है कि लॉकडाउन को आगे बढ़ाना अनिवार्य है। अगर ऐसा नहीं होता है तो शायद हम लॉडाउन पार्ट वन के मकसद को खो देंगे। इसके साथ ही कई राज्य सरकारों ने कहा कि हमारे सामने कई तरह की चुनौतियां हैं, उदाहरण के लिए बिहार सरकार में मंत्री संजय झा ने कहा कि आने वाले समय में हमें बाढ़ की भी तैयारी करनी होगी, इसके साथ ही कृषि क्षेत्र को भी देखना है। जहां तक लॉकडाउन का संबंध है तो पीएम के आदेश का पालन होगा। हालांकि वो भी कह चुके हैं कि कोरोना के खिलाफ जंग में हम आर्थिक चुनौतियों को नजरंदाज नहीं कर सकते हैं। 

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