कश्मीर में पहली बार हुई  'राइफल वूमेन' की तैनाती, स्थानीय लोगों के चेहरों पर दिखी मुस्कुराहट 

Women soldiers in Kashmir: कश्मीर में पहली बार 'राइफल वूमेन' की तैनाती हुई है। 'राइफल वूमेन' देश के सबसे पुराने अर्धसैनिक बल असम राइफल की ही एक यूनिट है। 

Women soldiers deployed for first time in Kashmir make positive impact: Assam Rifles
कश्मीर में हुई है 'वूमेन राइफल' की तैनाती।  |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से हटा अनुच्छेद 370
  • कश्मीर में पहली बार हुई है 'राइफल वूमेन' की तैनाती
  • असम राइफल ने ट्वीट कर दी राइफल वूमेन' की तैनाती की जानकारी

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के खात्मे का पांच अगस्त को एक साल पूरा हो गया। कश्मीर की सुरक्षा व्यवस्था एवं हिंसक विरोध प्रदर्शनों की आशंका को देखते हुए श्रीनगर में दो दिनों का कर्फ्यू लगाया गया है। इन सबके बीच सबसे बड़ी खास बात यह है कि पहली बार कश्मीर में महिला सैनिकों की तैनाती हुई है जिन्हें 'राइफल वूमेन' कहा जा रहा है। ये  'राइफल वूमेन' देश के सबसे पुराने अर्धसैनिक बल असम राइफल की यूनिट है। 'राइफल वूमेन' की तैनाती पर असम राइफल का कहना है कि इन  'राइफल वूमेन' की तैनाती कुछ दिनों पहले हुई है और स्थानीय लोगों ने इसे काफी सकारात्मक तरीके से लिया है। 

असम राइफल ने अपने एक ट्वीट में कहा, 'कश्मीर में वूमेन राइफल' की तैनाती पहली बार हुई है और इन्होंने अपनी तैनाती के कुछ दिनों में स्थानीय लोगों पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। स्थानीय लोगों के चेहरों पर मुस्कुराहट इस बात का गवाह है कि उन्हें  'राइफल वूमेन' का पेशेवर तरीका पसंद आ रहा है।'  'राइफल वूमेन' देश के सबसे पुराने अर्धसैनिक बल असम राइफल की ही एक यूनिट है। भारत सरकार ने गत पांच अगस्त 2019 को अपने ऐतिहासिक फैसले में जम्मू कश्मीर को मिले विशेष राज्य के दर्जे को खत्म कर दिया। साथ ही जम्मू-कश्मीर को विधानसभा से युक्त और लद्दाख को बिना विधानसभा के केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया।

एक साल पहले राज्य से हटा अनुच्छेद 370
भारत सरकार को आशंका थी कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर कश्मीर में इसका तीखा एवं हिंसक विरोध हो सकता है। इस आशंका को देखते हुए सरकार ने अपनी तैयारी पहले ही कर ली। घाटी में भारी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती कर दी गई। राज्य के प्रमुख राजनीतिक चेहरों फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, सज्जाद लोन सहित अलगाववादी नेताओं को नजरबंद कर दिया गया। सरकार को आशंका थी कि ये नेता अपने बयानों से घाटी का माहौल बिगाड़ सकते हैं और इससे कानून-व्यवस्था को चुनौती मिल सकती है। सरकार ने जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवा सहित संचार के सभी साधन बंद कर दिए। 

विकास के नए रास्ते पर अग्रसर जम्मू-कश्मीर
भारत सरकार के इस कदम का कांग्रेस सहित वामपंथी दलों ने यह कहते हुए विरोध किया कि अनुच्छेद 370 हटाने का तरीका सही नहीं था। कांग्रेस ने दलील दी कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा से पारित प्रस्ताव के बाद ही सरकार को यह अनुच्छेद समाप्त करना चाहिए था लेकिन सरकार ने विपक्ष के तर्कों को जवाब दिया। सरकार ने कहा कि इस अनुच्छेद 370 के चलते जम्मू-कश्मीर विकास से दूर रहा और यह अनुच्छेद कहीं न कहीं राज्य में आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला रहा है। अनु्च्छेद 370 के खात्मे के बाद सरकार ने राज्य के लोगों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए कई कदम उठाए हैं। 
 

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