फर्जी शिक्षकों पर सख्त योगी सरकार, 900 करोड़ रुपए की होगी वसूली, देने होंगे 60-60 लाख रुपए 

Fake Teachers in UP: उत्तर प्रदेश में फर्जी शिक्षकों पर नकेल कसने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। मीडिया रिपोर्टों की मानें तो यूपी सरकार इन फर्जी अध्यापकों से 900 करोड़ रुपए वसूलेगी।

Yogi Adityanath government to recover 900 crore from fake teachers
यूपी में फर्जी शिक्षकों पर नकेल कसने का काम शुरू।  |  तस्वीर साभार: PTI
मुख्य बातें
  • उत्तर प्रदेश में फर्जी शिक्षकों पर सख्त हुई योगी आदित्यनाथ सरकार
  • फर्जी दस्तावेजों से नौकरी पाने वाले 1427 शिक्षकों की पहचान हुई
  • फर्जी शिक्षकों से वसूले जाएंगे 60-60 लाख रुपए, 497 पर केस दर्ज

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में फर्जी शिक्षकों पर कार्रवाई की बड़ी पहल शुरू हो गई है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने फर्जी शिक्षकों से 900 करोड़ रुपए वसूलने की तैयारी कर ली है। मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि ऐसे 1427 शिक्षकों की पहचान हुई है जिन्होंने फर्जी अंकपत्रों, प्रमाणपत्रों एवं दस्तावेज के आधार पर नौकरी पाई। बताया जा रहा है उत्तर प्रदेश सरकार फर्जी शिक्षकों से 60-60 लाख रुपये वसूलेगी। 

सख्त हुई योगी सरकार
राज्य में शिक्षा प्रणाली को साफ-सुथरा करने की दिशा में योगी सरकार का यह एक बड़ा कदम बताया जा रहा है। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने फर्जी शिक्षकों पर कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। समझा जाता है कि फर्जी दस्तावेज के इस पूरे प्रकरण में सरकारी बाबुओं एवं अधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है। बताया जा रहा है कि फर्जी शिक्षकों में से अब तक 930 की सेवा समाप्त कर दी गई है जबकि 497 के खिलाफ केस दर्ज हुआ है। 

जांच बढ़ने पर सामने आ रहे मामले
राज्य में फर्जी शिक्षकों एवं शिक्षा माफियाओं पर नकेल कसने का काम सरकार ने तेज कर दिया है।। सरकार की सक्रियता का ही नतीजा है कि एक सरकारी स्कूल में कार्यरत एक स्कूल टीचर दो स्कूलों से वेतन उठा रहा था। दरअसल, प्रदीप कुमार नाम का व्यक्ति मुजफ्फरनगर एवं बरेली जिलों के प्राथमिक स्कूलों तैनात था। यह शिक्षक साल 2011 से मुजफ्फरनगर में रहते हुए एक स्कूल में पढ़ा रहा था लेकिन वह बरेली स्थित एक स्कूल से भी वेतन उठा रहा था। अधिकारियों द्वारा शिक्षक के दस्तावेजों की जांच किए जाने के बाद यह मामला मंगलवार को प्रकाश में आया।  

खंड शिक्षा अधिकारी नरेंदर सिंह ने कहा, 'दस्तावेजों की ऑनलाइन जांच के दौरान हमने पाया कि प्रदीप कुमार नाम का व्यक्ति मुजफ्फरनगर एवं बरेली के दो अलग-अलग स्कूलों में पढ़ा रहा है। इस मामले की जांच का आदेश दे दिया गया है। मुजफ्फरनगर स्कूल में आठ साल तक पढ़ाने के बाद वह नवंबर 2019 में मेडिकल लीव पर चला गया था।'

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