नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पहुंचे हैं। वो तीन दिवसीय दौरे पर पोर्ट ब्लेयर पहुंचे। उन्हें यहां विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेना है। अमित शाह ने पोर्ट ब्लेयर में सेलुलर जेल का दौरा किया। यहां उन्होंने उस सेल का भी दौरा किया जहां विनायक दामोदर सावरकर को कैद किया गया था। सावरकर 1911 से 1921 तक यहां कैद रहे।
इस मौके पर शाह ने कहा कि देश भर के लोगों के लिए अंग्रेजों द्वारा बनाई गई ये सेल्युलर जेल सबसे बड़ा तीर्थ स्थान है। इसीलिए सावरकर जी कहते थे कि ये तीर्थों में महातीर्थ है, जहां आजादी की ज्योति को प्रज्वलित करने के लिए अनेकों लोगों ने बलिदान दिए। आज मैं सचिन सान्याल की कोठरी में गया और उनके चित्र पर माल्यार्पण किया। मेरे जैसे व्यक्ति के लिए यह भावनात्मक क्षण था। शायद वह इन सभी स्वतंत्रता सेनानियों में अकेले थे जिन्हें 'काला पानी' में दो बार भेजा गया था। पश्चिम बंगाल ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम में बहुत बड़ा योगदान दिया है। जब मैं यहां आया, तो मैंने सम्मानपूर्वक उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों के नामों की सूची पढ़ी, जिन्हें 1938 तक यहां रखा गया था। बंगाल और पंजाब में सबसे अधिक संख्या में स्वतंत्रता सेनानियों के होने का गौरव है। अब जिस रास्ते पर मोदी जी के नेतृत्व में भारत ने आगे बढ़ने और चलने का निर्णय लिया है, वो पीछे मुड़ने का नहीं बल्कि आगे बढ़ते रहने का रास्ता है और सावरकर और सान्याल जैसे वीर स्वतंत्रता सेनानियों की संकल्पना का भारत बनाने का रास्ता है।
देश में छिड़ी हुई है सावरकर पर बहस
हाल ही में सावरकर को लेकर खूब चर्चा हुई है। दरअसल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में अंग्रेजों के समक्ष दया याचिका के बारे में एक खास वर्ग के लोगों के बयानों को गलत ठहराते हुए यह दावा किया कि महात्मा गांधी के कहने पर सावरकर ने याचिका दी थी। उन्होंने कहा कि राष्ट्र नायकों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के बारे में वाद प्रतिवाद हो सकते हैं लेकिन विचारधारा के चश्मे से देखकर वीर सावरकर के योगदान की उपेक्षा करना और उन्हें अपमानित करना क्षमा योग्य और न्यायसंगत नहीं है। वीर सावरकर महान स्वतंत्रता सेनानी थे।
विपक्ष के नेताओं ने इस पर पलटवार किया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश और एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन औवैसी ने महात्मा गांधी द्वारा 25 जून, 1920 को सावरकर के भाई को एक मामले में लिखे गए पत्र की प्रति ट्विटर पर साझा की और आरोप लगाया कि भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह गांधी द्वारा लिखी गई बात को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे हैं। ओवैसी ने कहा कि सावरकर की ओर से पहली दया याचिका 1911 में जेल जाने के छह महीनों बाद दी गई थी और उस समय महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में थे। इसके बाद सावरकर ने 1913-14 में दया याचिका दी।
सावरकर के पौत्र रंजीत सावरकर ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी ने सभी राजनीतिक कैदियों के लिए आम माफी मांगी थी। उन्होंने यह भी कहा कि यदि स्वतंत्रता सेनानी ने अंग्रेजों से माफी मांगी होती तो उन्हें कोई न कोई पद दिया जाता।
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