ये तो हर कोई जानता है कि योगा के कई अलग-अलग प्रकार होते हैं लेकिन इनमें क्या अंतर है ये शायद हर कोई नहीं जानता होगा। कई योगा स्टाइल्स कुछ गुरुओं के द्वारा बनाए गए हैं और उनके नाम भी उन गुरुओं के आधार पर रखे गए हैं। उदाहरण के तौर पर अयंगर योगा स्टाइल बी.के.एस अयंगर के नाम पर रखा गया है।
बिक्रम योगा स्टाइल का नाम बिक्रम चौधरी के नाम पर रखा गया है। इसी प्रकार से एक है हठ योग स्टाइल। क्या है हठ योग स्टाइल, कहां से आया ये और इसके क्या फायदे हैं, इसे कैसे प्रैक्टिस कर सकते हैं। जानते हैं इनके जवाब-
संस्कृत में हठ का मतलब होता है दबाव, बलपूर्वक (Forceful)। इसलिए हठ योग का मतलब हुआ वैसे योगा पोस्चर जिसमें शारीरिक बल शारीरिक दबाव लगता हो ये मेडिटेशन या ध्यान लगाने वाला योगा नहीं होता है। इसको इस तरह से समझ सकते हैं वैसे योगा जिसमें शरीर व दिमाग दोनों का बैलेंस होता हो उसे हठ योगा कहते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि ह का मतलब सूरज और ठ का मतलब चंद्रमा होता है। इसलिए इस योगा के जरिए दोनों की एनर्जी को बैलेंस करने की कोशिश की जाती है।
इस योगा स्टाइल के अंतर्गत प्राणायाम ब्रीदिंग, मंत्रोच्चारण और हाथों के साथ किया गया योगा पोज जिन्हें मुद्रा कहते हैं। हठ योग में मुख्य रुप से ऐसे पोज होते हैं जिनमें अधिक समय तक एक ही मुद्रा में नहीं रहा जाता है, इसमें मुद्राएं जल्दी जल्दी बदली जाती हैं। इसका सबसे अच्छा उदाहरण है सूर्य नमस्कार। इसमें सारे स्टेप जल्दी जल्दी कर लिए जाते हैं मुद्राओं में समय नहीं लगाया जाता।
हठ योग के अनगिनत फायदे हैं। अगर योग की शुरुआत करने जा रहे हैं तो इसके लिए हठ योग सबसे बेस्ट है जिसके साथ योग जर्नी की शुरुआत की जा सकती है। इसके अंतर्गत आसन, प्राणायाम, मुद्रा और मंत्रा आते हैं। इनसे पावरफुल एनर्जी मिलती है जिससे शरीर व दिमाग दोनों को फायदा मिलता है। हठ योग ना केवल खुशियों को बढ़ाने के साथ आपकी लाइफस्टाइल को इंप्रूव करता है बल्कि इसी प्रैक्टिस करने से दुख दर्द और तनाव भी खत्म होते हैं। इस तरह से कहा जा सकता है कि योगा प्रैक्टिस के जरिए खुद से कनेक्ट रहने की कला मिलती है।
हठ योग में ब्रीदिंग टेकनीक के जरिए शरीर को शुद्ध करता है। हठ योग से फायदा ये मिलता है कि इसे करने के बाद से ड्रग्स, स्मोक, एल्कोहल जैसी जहरीली चीजों से आपका मोहभंग हो जाता है। इसके अलावा इससे इम्युनिटी भी इंप्रूव होता है, एजिंग की समस्या भी कम होती है, हॉर्मोन्स रेगुलेट होते हैं ब्लड सर्कुलेशन हेल्दी रहता है।
सबसे पहले ब्रीदिंग टेकनीक से इसकी शुरुआत करते हैं। लंबी लंबी व गहरी सांस लें और धीरे धीरे सांस छोड़ें। इस प्रक्रिया को 3 से 5 मिनट तक के लिए करें। इस दौरान आप अपने पेट पर अपना हाथ रखकर अपनी ब्रीदिंग को फील कर सकते हैं।
एक बार जब आपने ब्रीदिंग प्रैक्टिस खत्म कर दी, तो अब आपको अपने दिमाग को शांत रखना चाहिए। थोड़ी देर शांत मुद्रा में रहने के बाद फिर से ब्रीदिंग प्रैक्टिस करें और फिर मेडिटेट की प्रक्रिया में आ जाएं।
आसन प्रैक्टिस के सबसे अंत में ये प्रैक्टिस की जाती है। इस आसन में अपने आप को फर्श पर पूरी तरह से रिलैक्स छोड़ देना चाहिए। कमरे या हॉल जहां पर आप आसन कर रहे हैं वहां की लाइट मद्धम कर दें एक शांत फीलिंग वाली म्यूजिक प्ले कर दें और फिर रिलैक्स मोड में आ जाएं।