योग भारत में सदियों पुरानी परंपरा रही है। कई रोगों के इलाज के लिए योग और प्राणायाम का इस्तेमाल किया जाता रहा है। प्राणायाम को गंभीर से गंभीर बीमारियों का अचूक इलाज माना जाता रहा है। योग क्रिया में सबसे बड़ी भूमिका श्वास की होती है। प्राणायाम का सीधा-सीधा मतलब होता है अपनी सांसों पर नियंत्रण रखना। इसका शारीरिक लाभ ही नहीं बल्कि मानसिक लाभ भी है।
ब्रिदिंग एक्सरसाइज के लिए प्राणायाम को बेस्ट माना जाता है। इसके लिए भस्त्रिका प्राणायाम को सबसे बढ़िया कहा गया है। इस प्राणायाम के करने से फेफड़ों से जुड़ी सबी बीमारियों का निदान हो जाता है। अगर आपको फेफड़ों से जुड़ी बमारी है या श्वास लेने की समस्या है तो आपको भी भस्त्रिका प्राणायाम करना चाहिए। स्वस्थ फेफड़ों के लिए ये एक्सरसाइज आपके मस्तिष्क और मन को भी प्रसन्न रखने का काम करती है। भस्त्रिका प्राणायाम शरीर और फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं में श्वसन प्रणाली को सीधे प्रभावित करता है।
ठंड के दिनों में शरीर को गर्म रखना है तो इस प्राणायाम को करने से लाभ मिलता है। पैर क्रॉस करके आसन ग्रहण करें और तेज गति सांस अंदर लें और बाहर छोड़ें। कुछ राउंड के बाद इस प्रक्रिया को धीमा कर दें और ऐसे ही समाप्त करें।
भस्त्रिका प्राणायाम में खास तौर पर श्वास लेने की प्रक्रिया की जाती है। इसमें तेज गति से सांस लेने व छोड़ने की प्रक्रिया अपनाई जाती है। आपको बता दें कि भस्त्रिका का अर्थ धौंकनी होता है। इसका मतलब है कि जब तेज-तेज सांस लेकर छोड़ने की प्रक्रिया की जाती है तो यह लोहार के धौंकनी के जैसा एहसास कराता है। इस प्राणायाम से मन शांत रहता है।
इस प्राणायाम को बलपूर्वक करना चाहिए। तेज गति से श्वास लेते हुए इस प्राणायाम को करना चाहिए। अगर इस प्राणायाम को करते समय आपको चक्कर आने लगे या पसीना आए या फिर कंपकंपी आने लगे तो फौरन इस प्राणायाम को तत्काल प्रभाव से छोड़ देना चाहिए।