बच्चों का दिमाग काफी सेंसिटिव होता है। छोटी उम्र में बच्चों के दिमाग पर किसी भी चीज का प्रभाव बड़ी ही तेजी से पड़ता है। अगर इस उम्र में उन्हें अच्छी चीजें सिखाई जाए तो वे अच्छी बातें सीखेंगे और बुरी चीजें सिखाएंगे तो वे बुरा ही सीखेंगे। इसलिए कहा जाता है कि बच्चों को अच्छी चीजें ही सिखानी और दिखानी चाहिए ताकि आगे चलकर भी उनका दिमाग सही और गलत में फर्क कर सके और अपनी पर्सनैलिटी का सही दिशा में विकास कर सके।
बच्चों की इंटेलीजेंस लेवल बढ़ाने के मार्केट में कई तरीके हैं। बुक्स, खिलौने, गेम, सॉफ्टवेयर, डीवीडी और एजुकेशनल प्रोग्राम का इस्तेमाल बच्चों की इंटेलीजेंस लेवल बढ़ाने में किया जाता है। वहीं साइंटिफिक तरीके ये कहते हैं कि बच्चों का ब्लॉक्स के साथ खेलना उनके बौद्धिक क्षमता को बढ़ाता है। इसके अलावा एकेडमिक प्रोग्राम उनकी क्रिटिकल थिंकिंग स्किल को बढ़ाता है। कुछ बोर्ड गेम्स उनके प्री स्कूल मैथ स्किल को बढ़ाता है। कुछ वीडियो गेम मेमोरी पावर को बढ़ाते हैं।
रिसर्च के मुताबिक कई बच्चे ऐसे होते हैं जिन्हें टीवी देखकर एकेडमिक प्रोग्राम देखकर या फिर डीवीडी देखकर चीजें नहीं समझ पाते हैं जितना कि वे लाइव अपने सामने किसी शख्स को सुनकर या फिर उनसे बात करके सीखते समझते हैं। लोगों का ऐसा मानना है कि स्मार्ट और बुद्धिमान बच्चों की तारीफ करने से उनका दिमाग विकास और भी तेजी से होता है लेकिन शोध के मुताबिक सच्चाई ये है कि ऐसा करने से वे बच्चे और भी बेवकूफ हो जाते हैं। काम के टिप्स-
एरोबिक एक्सरसाइज करने से बच्चों का दिमागी विकास होता है और वे चीजें जल्दी सीखते हैं। एक्सरसाइज करने से बच्चों का ध्यान स्टडी की तरफ ज्यादा लगता है।
प्ले के जरिए बच्चों का मेमोरी पावर शार्प होता है और उनमें सीखने की क्षमता का विकास होता है। इससे बच्चों में भाषा का ज्ञान बढ़ता है। उनकी बौद्धिक क्षमता का विकास होता है, रीजनिंग और मैथेमैटिकल स्किल्स का विकास होता है।
शारीरिक हावभाव से भी बच्चों में बौद्धिक क्षमता का विकास होता है। हाथ के इशारों से कुछ भी बताने व समझाने की कला का बच्चों पर तेजी से प्रभाव पड़ता है। इस तरीके से बच्चे कुछ भी चीजें जल्दी सीखते व समझते हैं।
म्यूजिक के जरिए भी बच्चे कुछ चीजें जल्दी से सीखते हैं उनमें आईक्यू लेवल बढ़ता है। इससे उनका दिमाग फोकस्ड होता है और चीजों पर आसानी से ध्यान लगा पाते हैं और सीख पाते हैं।
अक्सर देखा जाता है कि बच्चों को जब पढ़ाने की बारी आती है तो हम उन्हें बुक पढ़ने को कहकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेते हैं लेकिन इसका कोई फायदा नहीं होता है। फायदा तब मिलेगा जब हम भी उसके साथ बैठकर साथ में उसके स्तर पर जाकर पढ़ें और कठिनाई आने पर उसकी मदद करें।
पूरी नींद ना लेने से भी बच्चों का दिमागी विकास रुक जाता है और वे स्टूपिड रह जाते हैं। शोध के मुताबिक एक घंटे की नींद कम होने से छठे कक्षा के बच्चों का दिमाग चौथी कक्षा के बच्चों जैसा हो जाता है