69000 शिक्षकों की नियुक्ति : योगी सरकार को राहत, हाई कोर्ट ने एकल पीठ के फैसले पर रोक लगाई

Appointment of 69,000 teachers in Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापकों की नियुक्ति मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट से राहत मिली है।

Lucknow bench of Allahabad HC stays single-bench order on appointment of 69,000 teachers
प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापकों की नियुक्ति मामले में योगी सरकार को कोर्ट से मिली राहत।  |  तस्वीर साभार: ANI

लखनऊ : प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापकों की भर्ती मामले में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को राहत मिली है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने एकल पीठ के तीन जून के फैसले पर रोक लगा दी। कोर्ट के इस फैसले के बाद 69,000 पदों पर सहायक अध्यापकों की नियुक्ति का रास्ता अब साफ हो गया है। अब योगी सरकार शीर्ष अदालत के 9 जून के आदेश के अनुरूप इन पदों पर भर्ती प्रकिया आगे बढ़ाने के लिए कदम उठा सकती है। दरअसल, याचिकाकर्ताओं ने घोषित परीक्षा परिणाम में कुछ प्रश्नों की सत्यता पर सवाल उठाए थे जिसके बाद एकल पीठ ने नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाने का आदेश सुनाया

दो न्यायाधीशों की पीठ ने फैसला सुनाया
जस्टिस पीके जायसवाल एवं जस्टिस डीके सिंह की पीठ ने अपना फैसला पारित करते हुए कहा कि नौ जून के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के परिप्रेक्ष्य में सरकार शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पर आगे बढ़ने के लिए स्वतंत्र है। इनमें 37,000 पदों पर शिक्षा मित्रों की नियुक्ति होनी है। जबकि शेष पदों के लिए राज्य सरकार काउंसिलिग की प्रक्रिया शुरू कर सकती है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की एकल पीठ ने अपने 3 जून के फैसले में नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।

एकल के पीठ के फैसले के खिलाफ तीन अर्जियां दाखिल
सहायक अध्यापकों की नियुक्ति प्रक्रिया संचालित करने वाले यूपी एग्जामिनेशन रेगुलेटरी अथारिटी ने हाई कोर्ट के तीन जून के फैसले को चुनोती देते हुए तीन अर्जिया दाखिल की थीं। गत तीन जून को जस्टिस आलोक माथुर ने 31 असफल अभ्यर्थियों की अर्जी पर सुनवाई करते हुए नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाई थी। सरकार की तरफ से कहा गया कि कोर्ट ने सफल अभ्यर्थियों की बात सुने बैगर कोर्ट ने अपना आदेश पारित कर दिया। 

हाई कोर्ट की एकल पीठ ने ने याचियों को विवादित प्रश्नों पर आपत्तियों को एक सप्ताह के भीतर राज्य सरकार के समक्ष प्रस्तुत करने को कहा था। आपत्तियों को सरकार यूजीसी को प्रेषित करेगी व यूजीसी आपत्तियों का निस्तारण करेगी।

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