25 करोड़ आबादी वाले राज्य में यूपी मॉडल ने बदली तस्वीर, काबू में आया कोरोना

मार्च में जब कोविड-19 की दूसरी लहर देश में शुरू हुई थी तो सबसे ज्यादा 25 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश को लेकर आशंका थी। लेकिन जिस तरह राज्य में कोरोना पर लगाम लगी, उसकी तारीफ डब्ल्यूएचओ ने भी कर दी है।

UP model of  tackling covid-19
कोरोना से निपटने को लेकर यूपी मॉडल की हो रही है तारीफ  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • उत्तर प्रदेश में इस समय 407 कोरोना संक्रमण के मामले रह गए हैं। जबकि केरल में 1.79 लाख ,महाराष्ट्र में 57 हजार से ज्यादा सक्रिय मामले हैं।
  • प्रदेश में अब तक 7 करोड़ 1 लाख 69 हजार से अधिक कोविड सैम्पल की जांच हो चुकी है।
  • 'ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट' के मॉडल पर जोर देकर कोरोना पर काबू करने का सघन अभियान चलाया गया।

लखनऊ:  मार्च में जब कोविड-19 की दूसरी लहर देश में शुरू हुई और उसका प्रकोप अप्रैल में दिखने लगा तो सबसे ज्यादा डर उत्तर प्रदेश को लेकर कई विशेषज्ञों ने उठाया था। उनका कहना था कि 25 करोड़ की आबादी और उसके मुताबिक स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं होने की वजह से प्रदेश में महामारी भयावह रूप  ले सकती है। और केरल मॉडल से सीख लेने की भी बात हो रही थी। लेकिन पिछले चार महीने में जिस प्रकार राज्य में कोविड-19 के संक्रमण पर लगाम लगी है। उसे देखते हुए कोरोना से निपटने के यूपी मॉडल पर विश्व स्वास्थ्य संगठन, ऑस्ट्रेलिया से लेकर भारत की कई राज्य सरकारें सीख लेने की बात कर रही हैं। प्रदेश में इस समय 407 कोरोना संक्रमण के मामले रह गए हैं। जबकि वहीं केरल में 1.79 लाख  से ज्यादा, महाराष्ट्र में 57 हजार से ज्यादा , कर्नाटक में 21 हजार से ज्यादा, तमिलनाडु में 19800 से ज्यादा मामले सक्रिय हैं। 


शुरूआत में एक टेस्टिंग लैब नहीं 

जब कोविड की पहली लहर आई थी। उस वक्त राज्य में टेस्टिंग के लिए एक भी लैब नहीं था। लेकिन अब राज्य में हर रोज 4 लाख टेस्ट करने की क्षमता विकसित हो चुकी है। प्रदेश में अब तक 7 करोड़ 1 लाख 69 हजार से अधिक कोविड सैम्पल की जांच की जा चुकी है। जो किसी भी राज्य में होने वाली सबसे ज्यादा टेस्टिंग है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उत्तर प्रदेश में प्रति दिन 32 हजार नमूनों की जांच के मानक तय किए थे। उसकी तुलना में उत्तर प्रदेश में प्रतिदिन औसतन 2.5 लाख से 3.0 लाख के बीच नमूनों की जांच रोज की जा रही है। वहीं महाराष्ट्र में 5.2 करोड़, केरल में 3 करोड़, कर्नाटक में करीब 4 करोड़ लोगों की टेस्टिंग हुई है। 

ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट मॉडल पर जोर

 'ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट' के मॉडल को अपनाने के बाद से, राज्य सरकार  निगरानी समितियों के जरिए हर रोज ग्रामीण क्षेत्रों में 8,000 रैपिड रिस्पांस टीमों से एक लाख से अधिक कोविड नमूनों की जांच करवा रही हैं। प्रदेश सरकार के सभी 75 जिलों में 73000 से अधिक निगरानी समितियां 97941 गांवों में काम कर रही हैं। इसके अलावा कोविड 19 की दूसरी लहर में की टेस्टिंग में सबसे ज्यादा नमूनों की जांच ग्रामीण क्षेत्रों में की गई है।

टीकाकरण पर जोर, इन जिलों में एक भी कोरोना संक्रमित नहीं 

प्रदेश में अब तक 6.24 करोड़ से अधिक वैक्सीन डोज लगाए जा चुके हैं। इसमें से 5.26 करोड़ से अधिक ने कम से कम वैक्सीन की एक डोज लगवाई है। वहीं दोनों डोज प्राप्त करने वालों की संख्या भी एक करोड़ के पार होने के करीब है। प्रदेश के 15 जिले, अलीगढ़, अमेठी, बदायूं, बस्ती, देवरिया फर्रुखाबाद, हमीरपुर,हरदोई, हाथरस, कासगंज, महोबा, मिर्जापुर, संतकबीरनगर, श्रावस्ती और शामली में कोविड के एक भी मरीज नहीं है। पॉजिटिविटी दर इस समय 0.01 बनी हुई है और रिकवरी दर 98.6 फीसदी पर पहुंच गई है। 

केरल में सबसे ज्यादा सक्रिय मामले

संक्रमण के मामले में सबसे ज्यादा चिंताजनक स्थिति केरल में है। 20 अगस्त शाम तक की  स्थिति के अनुसार केरल में अभी 1.79 लाख सक्रिय केस हैं। जबकि महाराष्ट्र में 57 हजार से ज्यादा , कर्नाटक में 21 हजार से ज्यादा, तमिलनाडु में 19800 से ज्यादा, पश्चिम बंगाल में 9653 मामले तो उत्तर प्रदेश में 407  संक्रमण के मामले सक्रिय हैं।

कई देशों से बेहतर है स्थिति

विश्व स्वास्थय संगठन और दूसरे विशेषज्ञ जिस मॉडल को अपनाने की बात कर रहे हैं, उसकी एक बड़ी वजह यह है कि दूसरे साधन संपन्न देशों की तुलना में उत्तर प्रदेश में स्थिति बेहतर रही है। मसलन अमेरिका की 33 करोड़ आबादी में 6.41 लाख लोगों की मौत हुई और रिकवरी रेट 79.73% रहा है। इसी तरह ब्राजील में 24 करोड़ आबादी में  5.70 लाख लोगों की मौत हुई और रिकवरी रेट 92.5% रिकवरी रेट रहा है। जबकि 25 करोड़ आबादी वाले उत्तर प्रदेश में  22789 (20 अगस्त 2021 तक) लोगों की मौत हुई है और रिकवरी रेट 98.6 फीसदी रहा है।

तीसरी लहर की क्या है तैयारी

विशेषज्ञों के अनुसार एक बार फिर तीसरी लहर आ सकती है। जिसका असर बच्चों पर सबसे ज्यादा हो सकता है। इसे देखते हुए तक प्रस्तावित 555 ऑक्सीजन प्लांट में से 329 तैयार  हो चुके हैं। जबकि बाकी में जल्द कार्य पूरा करने का सरकार का दावा है। इसके अलावा प्रदेश के 714 अस्पतालों में 78,716 आइसोलेशन और आईसीयू बेड तैयार किए गए हैं। 9200 से ज्यादा पीडियाट्रिक आईसीयू  बेड तैयार किए गए है। इसके तहत मेडिकल कॉलेजों में 6562 पीडियाट्रिक आईसीयू और जिला अस्पतालों में 1414 पीडियाट्रिक आइसोलेशन और 1265 पीडियाट्रिक आईसीयू बनाए गए हैं।

Lucknow News in Hindi (लखनऊ समाचार), Times now के हिंदी न्यूज़ वेबसाइट -Times Now Navbharat पर। साथ ही और भी Hindi News (हिंदी समाचार) के अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें।

अगली खबर