मुंबई: गुरुवार को राज्यसभा में भी नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill) बहुमत से पारित हो गया है। इस विधेयक के पारित होने के बाद पूर्वोत्तर के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन और आगजनी की घटनाएं सामने आई हैं। लेकिन जैसे ही यह विधेयक पारित हुआ तो इसके विरोध में महाराष्ट्र से एक आईपीएस अधिकारी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। अब्दुर्रहमान ने बयान जारी कर कहा कि वह बृहस्पतिवार से कार्यालय नहीं जाएंगे।
महाराष्ट्र मानविधाकर आयोग में आईजीपी के पद पर तैनात आईपीएस अधिकारी अब्दुर रहमान ने अपने इस्तीफे से सबंधी पोस्ट ट्वीटर पर जारी किया है। महाराष्ट्र मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष के माध्यम से राज्य के अपर मुख्य सचिव (गृह) को लिखे पत्र में अब्दुर रहमान ने लिखा है, 'मैंने 1 अगस्त, 2019 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) के लिए आवेदन किया था लेकिन 25 अक्टूबर 2019 को मुझे बताया गया कि गृह मंत्रालय ने इसे स्वीकार नहीं किया है और रिजेक्ट कर दिया है। मेरे खिलाफ कोई विभागीय जांच भी लंबित नहीं हैं लेकिन गृह मंत्रालय ने मेरे आवेदन को जल्दबाजी में रद्द कर दिया।'
अब्दुर रहमान ने कैट के समक्ष गृह मंत्रालय द्वारा आवेदन निरस्त किए जाने को चुनौती भी दी थी जिसके बाद संबंधित विभाग को नोटिस जारी हुआ था। रहमान ने अपने आवेदन के अंदर इस्तीफे की वजह निजी बताई है।
अपने ट्विटर हैंडल से किए गए एक अन्य ट्वीट में रहमान ने दूसरा लैटर पोस्ट किया है जिसमें उन्होंने नागरिकता संशोधन विधेयक को धार्मिक बहुलवाद के खिलाफ बताया है और लोगों से इसका विरोध करने की अपील की है। रहमान ने विधेयक को संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताते हुए कहा है कि यह संविधान के आर्टिकल 14, 15 और 25 का उल्लंघन करता है। रहमान ने लिखा है कि इस विधेयक के पीछे का विचार देश को बांटना है।
आपको बता दें कि राज्यसभा ने बुधवार को नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी। इससे पहले विधेयक को सोमवार को लोकसभा की मंजूरी मिल चुकी थी।
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