डाक विभाग के जरिए अस्थि विसर्जन, कोरोना काल में प्रयागराज में खास पहल

कोरोना काल में पार्थिव शरीरों के अस्थि विसर्जन के लिए प्रयागराज डाक विभाग ने एक योजना की शुरुआत की है। जिसके तहत अस्थियों को हरिद्वार, गया, बनारस और पहुंचाने की व्यवस्था किया जाएगा।

कोरोना काल में प्रयागराज डाक विभाग की पहल, अस्थि विसर्जन के लिए योजना लाया
पार्थिव शरीर के अस्थि विसर्जन के लिए डाक विभाग की खास पहल 
मुख्य बातें
  • प्रयागराज में अस्थि विसर्जन के लिए डाक विभाग ने खास पहल की है।
  • हरिद्वार, बनारस, गया तक अस्थियों को पहुंचाने का काम करेगा डाक विभाग
  • हेड पोस्ट ऑफिस दिल्ली से परिवार को गंगाजल की बोतल भेजी जाएगी

कोरोना महामारी के दूसरे दौर में हजारों की संख्या में लोगों ने अपनों को खो दिया। इससे भी बड़ा गम उन लोगों के लिए था जो कोरोना काल की वजह से ना अपनों के अंतिम क्रियाकर्म में हिस्सा बन सके। कोरोना प्रोटोकॉल के तरह हजारों की संख्या में पार्थिव शरीरों को अग्नि के सूपुर्द कर दिया गया और अस्थियों को घर वालों को दे दिया गया। अब अस्थि विसर्जन के लिए प्रयागराज डाक विभाग ने खास पहल की है।

अस्थि विसर्जन के लिए खास पहल
हिंदू विधान में किसी भी मृत शरीर का तर्पण तब पूरा माना जाता है जब उनकी अस्थियों का प्रवाह या तो जीवन दायिनी गंगा में हो या बनारस, हरिद्वार, प्रयागराज और गया में विसर्जित की जाए। इस संबंध में प्रयागराज में डाक विभाग ने अस्थि विसर्जन की सुविधा शुरू की है। डॉक विभाग के प्रवर अधीक्षक का कहना है कि कोरोना के लोगों में दिक्कतों को कम करने के लिए डॉक विभाग यह योजना लाया है।

हेड पोस्ट ऑफिस भेजेगा गंगाजल
डाक विभाग में प्रवर अधीक्षक का कहना है कि लोग अस्थि को कलश में पैक करके स्पीड पोस्ट कर सकते हैं। हम उसे ओम दिव्य दर्शन के प्रतिनिधियों के पास भेजेंगे और वे उसे विसर्जित, श्राद्ध करेंगे और ऑनलाइन परिवार को दिखाएंगे। इसके बाद हेड पोस्ट ऑफिस दिल्ली से परिवार को गंगाजल की बोतल भेजी जाएगी।

क्या कहते हैं लोग
प्रयागराज डाक विभाग की पहल पर लोगों की मिलीजुली प्रतिक्रिया है। कुछ लोगों का कहना है कि कोरोना काल में इस तरह के प्रयोग से लोगों को अस्थि विसर्जन करने में आसानी होगी। आज जो माहौल बना हुआ है उसमें यह ज्यादा जरूरी है कि कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए अपने प्रियजनों को अंतिम विदाई दें। इसके साथ ही कुछ लोगों ने तंज कसते हुए कहा कि सरकार ने जीते जी तो मरीजों को बचाने की कोशिश नहीं की। जो परिवार उजड़ गए उनका क्या। लेकिन ठीक ही है कि कम से कम लोग अपने परिजनों को अंतिम विधान कर सकेंगे।

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