Chaturmas 2022: चौमासा या चातुर्मास में किन कामों को करने पर होती है मनाही, जानें क्या है इसका कारण

Chaturmas 2022 Prohibition Work: आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक के समय को ‘चातुर्मास’ कहा जाता है। इस दौरान कई कार्यों को करने पर सख्त मनाही होती है।

Chaturmas 2022
चातुर्मास 2022 
मुख्य बातें
  • धार्मिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है चातुर्मास
  • चातुर्मास में मांगलिक कार्य होते हैं वर्जित
  • चातुर्मास में दूध, दही, साग और मांस-मदिरा जैसी चीजें न खाएं

Chaturmas 2022 Prohibition Work and Importance: इस बार चातुर्मास की शुरुआत 10 जुलाई से हो रही है जोकि 4 नंवबर तक रहेगी। वहीं हिंदू कैलेंडर के अनुसार चातुर्मास की शुरुआत आषाढ़ शुक्ल एकादशी यानी देवशयनी एकादशी के दिन से होगी जोकि कार्तिक शुक्ल एकादशी तक रहेगी। देवशयनी एकादशी के दिन से ही भगवान विष्णु पूरे 4 माह के लिए योग निद्रा में सो जाते हैं। इन्हीं चार माह के समय को चातुर्मास या चौमासा के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में चातुर्मास का काफी महत्व होता है। चातुर्मास में मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है। लेकिन ध्यान और साधना के लिए यह महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

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सावन, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक इन चार माह को चातुर्मास के नाम से जाना जाता है। चातुर्मास में व्यक्ति को कई नियमों का पालन करना पड़ता है, जोकि न सिर्फ धार्मिक बल्कि स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी बेहद जरूरी होता है। इसलिए चातुर्मास में इन नियमों का पालन जरूर करें। जानते के चातुर्मास में किन कामों को करने पर मनाही होती है।

इन नियमों का करें पालन

चातुर्मास शुरू होते ही व्यक्ति को सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिए। इस दौरान फर्श पर सोना चाहिए। चातुर्मास में सावन का माह भी पड़ता है,इसमें व्यक्ति को बाल, दाढ़ी, नाखून जैसी चीजें नहीं कटवानी चाहिए। चातुर्मास में व्रत का पालन करना चाहिए और साथ ही अनावश्यक यात्राओं से बचना चाहिए।

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ये हैं वर्जित कार्य

चातुर्मास में मांगलिक कार्यों को करना वर्जित माना जाता है। इस दौरान शादी-विवाह, जातकर्म, गृह-प्रवेश, मुंडन जैसे हिंदू धर्म से जुड़े सभी 16 संस्कार करने पर मनाही होती है।

खाने-पीने पर भी बरतें सावधानी

चातुर्मास में केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी कई चीजों को अच्छा नहीं माना जाता है और इसलिए दौरान इन चीजों को खाने-पीने पर सख्त मनाही होती है। चातुर्मास में दूध, शक्कर, दही, तेल, बैंगन, पत्तेदार साग, मसालेदार भोजन, मांस और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। चातुर्मास के सावन माह में साग, भाद्रपद माह में दही, आश्विन माह में दूध और कार्तिक में प्याज, लहसुन और उड़द की दाल नहीं खानी चाहिए।

(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है।)

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