Good Friday 2022: ईसा मसीह ने गुड फ्राइडे के दिन त्यागे थे प्राण, जानें क्यों कहा जाता है इस दिन को 'गुड'

Good Friday: गुड फ्राइडे के दिन प्रभु ईसा मसीह ने अपने प्राण त्यागे थे। जिस दिन उन्होंने अपने प्राण त्यागे थे वह दिन शुक्रवार का था। इसलिए इस दिन को गुड फ्राइडे के रूप में मनाया जाता है।

Good Friday 2022
Good Friday 2022  |  तस्वीर साभार: Twitter
मुख्य बातें
  • प्रभु यीशु मसीह ने जिस दिन अपने प्राण त्यागे थे उस दिन था शुक्रवार
  • गुड फ्राइडे को अलग-अलग देशों में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है
  • गुड फ्राइडे के दिन ईसा मसीह ने यातनाएं उत्पीड़न झेलते हुए अपने प्राण त्याग दिए थे

Good Friday 2022:  गुड फ्राइडे ईसाई समुदाय के लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक है। इस दिन प्रभु ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था। ईसा मसीह ने समाज की भलाई के लिए अपने प्राण त्याग दिए थे। ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाने से पहले काफी शारीरिक यातनाएं दी गई थीं। प्रभु ईसा मसीह ने जिस दिन अपने प्राण त्यागे थे उस दिन शुक्रवार था। इसी की याद में इस दिन को गुड फ्राइडे के रूप में मनाया जाता है। माना जाता है कि मौत के तीन दिन बाद ईसा मसीह पुनः जीवित हो उठे थे और उस दिन रविवार था। इस दिन को ईस्टर संडे कहते हैं। गुड फ्राइडे को अलग-अलग देशों में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। इसे हॉली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे भी कहते हैं।


प्रेम की पराकाष्ठा का पेश किया उदाहरण 

माना जाता है कि इस दिन धरती पर बढ़ रहे पाप के लिए बलिदान देकर ईसा मसीह ने निस्वार्थ प्रेम की पराकाष्ठा का उदाहरण पेश किया था। ईसा मसीह ने यातनाएं—उत्पीड़न झेलते हुए अपने प्राण त्याग दिए थे। अक्सर लोगों के दिमाग में यह बात रहती है कि इस दिन ईसा मसीह ने अपने प्राण त्यागे थे तो फिर इस दिन को गुड क्यों कहा जाता है।

फिर क्यों कहा जाता है इस दिन को गुड फ्राइडे 

दरअसल, बाल्टिमोर कैटेशिज्म के अनुसार गुड फ्राइडे को गुड इसलिए कहा जाता है क्योंकि ईसा मसीह ने अपनी मृत्यु के बाद पुन: जीवन धारण किया और यह संदेश दिया कि हे मानव मैं सदा तुम्हारे साथ हूं और तुम्हारी भलाई करना मेरा उद्देश्य है। यहां गुड का मतलब हॉली (अंग्रेजी शब्द) यानी पवित्र से है। इसलिए इसे हॉली फ्राइडे भी कहते हैं।

गिरजाघर में नहीं बजाया जाता घंटा

गुड फ्राइडे के खास दिन ईसाई धर्म को मानने वाले अनुयायी गिरजाघर जाकर प्रभु यीशु को याद करते हैं। इस दिन चर्च में घंटा नहीं बजाया जाता बल्कि उसके एवज में लकड़ी के खटखटे से आवाज की जाती है। लोग इस दिन गिरजाघर में प्रभू ईसा मसीह को याद करते हैं उनके बलिदान को याद करते हैं।

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