भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत में बताए हैं जीवन के ये असली मंत्र, इन्हें अपनाकर कभी नहीं होंगे निराश

Shri Krishna Mahabharata: भगवान कृष्ण ने जीवन में गूढ़ रहस्य को समझाया है। महाभारत में श्री कृष्ण ने अर्जुन को कई उपदेश दिए, जिसका उल्लेख गीता में किया गया है। श्री कृष्ण द्वारा बताई गई ये बातें जीवन का असली मंत्र है।

life mantra in Mahabharata
श्रीकृष्ण 
मुख्य बातें
  • महाभारत में कृष्ण ने अर्जुन को दिए उपदेश
  • भगवत गीता में वर्णित है जीवन के मूलमंत्र
  • कृष्ण ने अर्जुन को बताए जीवन के गूढ़ रहस्य

Shri Krishna life mantra in Mahabharata: महाभारत की लड़ाई को बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर देखा जाता है। वहीं महाभारत के दौरान भगवान कृष्ण के द्वारा अर्जुन को बताए जीवन के गूढ़ रहस्य के लिए भी जाना जाता है, जिसे दुनिया गीता उपदेश के नाम से जानती है। श्री कृष्ण ने 'समय सबसे बलवान है' और 'कर्म ही पूजा है..' जैसे कई उपदेश दिए हैं। कृष्ण के इन उपदेशों को जीवन का मूल मंत्र कहा जाता है, जिससे व्यक्ति कठिन से कठिन परिस्थियों का भी अपनी निर्णय शक्ति से सामना कर लेता है। जानते हैं महाभारत में भगवान कृष्ण द्वारा बताए गए जीवन के असली मंत्र के बारे में.. 

समय बड़ा बलवान है, अच्छा हो या बुरा बीत जाएगा
महाभारत के दौरान जब अर्जुन विचलित थे उनकी हाथों से शस्त्र नहीं उठ रहे थे। तब भगवान कृष्ण ने अपने मित्र अर्जुन को पथ प्रदर्शित करते हुए कहा था कि समय बड़ा बलवान है। तुम सोचते हो कि तुम शस्त्र नहीं उठाओगे तो इन पापियों का संहार नहीं होगा! अरे अर्जुन! तुम तो एक निमित्त हो इनका संहार लिखा है और जरूर होगा। श्री कृष्ण ने अर्जुन को कहा कि जब कुछ समझ ना आए तो सब परमात्मा के हवाले कर कर्म करो और परिस्थितियां कितनी भी बुरी हो यह सोच कर चलो कि एक दिन बीत ही जाएगा।

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कर्म ही पूजा है, मन से करो

जब भगवान कृष्ण अर्जुन को जीवन के असली रहस्य के बारे में बता रहे थे तब उन्होंने कर्म के बारे में कहा " कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन, मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि " अर्थात कर्म ही पूजा है कर्म ही भक्ति है कर्म को पूरे मन से करना चाहिए और यह सोच कर करना चाहिए मैं जो कह रहा हूं वह परमात्मा को समर्पित है। गीता उपदेश में अनुसार, भगवान कृष्ण ने अर्जुन को कर्म योगी बनने की सलाह दी थी।


‘अपने इष्ट, अपने भगवान पर विश्वास रखो’

भगवान कृष्ण ने भक्ति योग की बात कही थी। उन्होंने भक्ति को एक शाश्वत चलने वाली प्रक्रिया बताया है। भक्ति योग में श्री कृष्ण ने अर्जुन को अपने इष्ट पर भरोसा रखते हुए कर्म करने की सलाह दी थी। भक्ति योग में विश्वास को सर्वोपरि रखा गया है। इसलिए भगवान पर विश्वास रखकर जीवन के पथ पर आगे बढ़ना चाहिए।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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