जानिए क्यों पाप करने के बाद भी दुर्योधन को मिला स्वर्ग, इस गलती के कारण पांडवों ने भोगा नर्क

महाभारत के युद्ध में कौरवों की हार हुई और पांडवों की जीत। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मौत के बाद जहां दुर्योधन को स्वर्ग मिला। वहीं, युद्धिष्ठर और उनके चार भाइयों को नर्क जाना पड़ा। जानिए वजह...

Duryodhan
Duryodhan 
मुख्य बातें
  • महाभारत की कई कथाएं लोगों तक नहीं पहुंच पाई है।
  • महाभारत के रण में मृत्यु के बाद दुर्योधन को स्वर्ग मिला।
  • मृत्यु के बाद पांडवों को नर्क जाना पड़ा। 

मुंबई. महाभारत केवल हिंदू धर्म का पवित्र ग्रंथ ही नहीं बल्कि एक महाकाव्य भी है। महाभारत में कौरवों की हार हुई और पांडवों ने हस्तिनापुर में राज किया। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि मृत्यु के बाद दुर्योधन को स्वर्ग मिला और पांडवों को नर्क जाना पड़ा। 

हस्तिनापुर में राज करने के बाद पांडव हिमालय में चले गए थे। रास्ते में द्रौपदी समेत चारों भाई की मृत्यु हो गई। वहीं, युद्धिष्ठर कुत्ते के साथ स्वर्ग गए। स्वर्ग पहुंचकर उन्होंने अपने भाई दुर्योधन को देखा। वहीं, उनके भाई पांडव नर्क में थे। 

दुर्योधन को स्वर्ग में देखकर भीम ने युद्धिष्ठर से पूछा ऐसा क्यों हुआ? धर्मराज ने जिज्ञासा शांत करते हुए बताया कि अपने पूरे जीवन में दुर्योधन का ध्येय एक दम स्पष्ट था। उसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए उसने हर संभव कार्य किया। 

ये था दुर्योधन का सदगुण
धर्मराज ने बताया कि दुर्योधन को बचपन से ही सही संस्कार प्राप्त नहीं हुए। इस कारण वह सच का साथ नहीं दे पाया। दुर्योधन का अपने उद्देश्य पर कायम रहना, दृढ़संकल्पित रहना ही उसकी अच्छाई साबित हुई।

युद्धिष्ठिर के मुताबिक अपने कर्तव्य के प्रति एकनिष्ठ होना मनुष्य का एक बड़ा सद्गुण है। इसी सद्गुण के कारण कुछ समय के लिए उसकी आत्मा को स्वर्ग के सुख भोगने का अवसर मिला है। 

इस वजह से नर्क गए पांडव 
युधिष्ठिर अपने भाइयों को ढूंढते हुए नर्क पहुंच गए। यह देख युधिष्ठिर ने पुछा हे देवगन ये क्या था तब देवताओं ने बताया की आपने अश्व्थामा के वध के बारे में झूठ फैलाया था इसलिए आपको कुछ समय  के लिए नर्क में रखा गया। 

देवताओं ने कहा कि अब आप स्वर्ग की और अपने भाइयों के साथ प्रस्थान करें। इसके बाद युद्धिष्ठ भाइयों के साथ स्वर्ग गए। जहां उनकी मुलाकात दुर्योधन से हुई और सभी भाई प्यार से गले मिले।

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