Navratri 2021 Nav Durga Shakti Mandir, Khurja: देश भर में मां दुर्गा की आस्था के पर्व नवरात्रि की धूम है। हर तरफ मां की भक्ति नजर आ रही है। ऐसे में हम आपको एक खास मंदिर के बारे में बता रहे हैं। देश की राजधानी दिल्ली से 80KM दूर उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले की खुर्जा तहसील में स्थित नवदुर्गा शक्ति मंदिर देवी के चमत्कार का उदाहरण है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर की 108 परिक्रमाएं लगाने से हर मनोकामना पूरी होती है। यहां आने वाले भक्त मंदिर परिसर में मौजूद मनोकामना स्तंभ पर चुनरी से गांठ लगाएं और मंदिर की 108 परिक्रमाएं लगाएं तो हर मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।
ऐसे तमाम उदाहरण हैं जब मां नव दुर्गा की कृपा से भक्तों के कष्ट दूर हुए हैं, गरीबों के भंडार भरे हैं और निसंतानों को संतान प्राप्ति का सुख मिला है। यह मां के चमत्कारों का ही असर है कि यहां रोजाना हजारों की संख्या में भक्त मां के दर्शन पाने देशभर से आते हैं। वहीं नवरात्रिओं में यहां भारी संख्या में भक्त दर्शन हेतु आते हैं।
अगर आप मां भगवती के इस दिव्य मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं तो रेल और सड़क मार्ग से आसानी से पहुंच सकते हैं। यह मंदिर दिल्ली से अलीगढ़ जाने वाले नेशनल हाईवे 91 से सटा है। वहीं खुर्जा जंक्शन उतरकर इस मंदिर आसानी से पहुंचा जा सकता है।
इस मंदिर की खासबात ये है कि यहां मौजूद देवी दुर्गा की प्रतिमा में महामाई के नौ रूप नजर आते हैं। माता की यह भव्य प्रतिमा चार टन अष्टधातु से बनी है जिसके 27 खंड हैं। ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा की इतनी भव्य और विलक्षण मूर्ति पूरे भारतवर्ष में नहीं है। दो हजार वर्गफीट में बना यह मंदिर अद्वितीय मूर्ति कला का नमूना है जहां माता की प्रतिमा अट्ठारह भुजाओं वाली है। इस मूर्ति को 100 से अधिक मूर्तिकारों ने तैयार किया था। यह दिव्य मूर्ति 14 फीट ऊंची और 11 फीट चौड़ी है। मां की प्रतिमा के दाईं ओर हनुमान जी और बाईं ओर भैरों जी की प्रतिमा है। रथ के शीर्ष पर भगवान शंकर और रथ के सारथी श्रीगणेश जी हैं।
मां दुर्गा अपने भवन में कमल पर विराजमान हैं। साल 1993 में इस मंदिर का निर्माण हुआ था और 13 फरवरी 1995 को इस मंदिर में मां दुर्गा की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। खासबात ये है कि मां दुर्गा की इस चमत्कारी प्रतिमा में ऐसा आकर्षण है कि भक्त आते हैं और देखते रह जाते हैं। मंदिर की ऊंचाई 30 फीट है और इसका शिखर 60 फीट ऊंचा है। यह मंदिर एक ही पिलर पर टिका है। इसकी दीवारों और छतों पर जयपुर के कलाकारों ने शीशे की महीन कारीगरी की है। मंदिर की 108 परिक्रमा गोवर्धन की एक परिक्रमा के बराबर होती हैं।
मंदिर सुबह चार बजे खुलता है और पांच बजे मंगला आरती होती है। वहीं शाम के समय मंदिर चार बजे भक्तों के लिए खोल दिया जाता है और सात बजे भव्य आरती होती है। आरती के समय हजारों भक्त जुटते हैं और घंटे भर तक पीतल के भव्य घंटों की ध्वनि सुनाई देती है। मंदिर पर अष्टमी के दिन एक हजार किलो हलवे का भोग लगाया जाता है।
इस मंदिर में देवी दुर्गा के अलावा 16 फीट ऊंची हनुमान जी की मूर्ति आकर्षण का विशेष केंद्र है। हनुमान जी की मूर्ति के सीने में भगवान राम और माता सीता विराजमान हैं। खासबात ये है कि इस मूर्ति में दो करोड़ राम नाम समाहित हैं। हरिहर बाबा के नेतृत्व में सन 1995 से लेकर 1997 तक इस मंदिर में दिन रात महामंत्र (हरे राम हरे कृष्ण) का जाप हुआ था। इसी दौरान लोगों ने राम नाम की पर्चियां और डायरियां लिखी थीं। जब इस मूर्ति का निर्माण हुआ, तब लगभग दो करोड़ राम नाम इस मूर्ति में समाहित किए गए। दावा है कि इतने राम नाम दुनिया की किसी दूसरी मूर्ति में समाहित नहीं हैं।
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