Famous Shani Temples in India: हिंदू धर्म में शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है। शनिवार के दिन इनकी पूजा आराधना व्यापक रूप से करने से व्यक्ति को विशेष लाभ प्राप्त होता है। ऐसी मान्यता है कि शनिदेव की पूजा आराधना जीवन के सभी दुख-दर्द को दूर कर देती है। भारत में शनिदेव को समर्पित कई ऐसे मंदिर हैं, जो बेहद चमत्कारी हैं। शास्त्र के अनुसार वहां जाने पर जीवन के सभी कष्ट हमेशा के लिए दूर हो जाते हैं।
भारत के 5 प्रसिद्ध शनि धाम (5 Famous Shani Temples in India)
1. शनि शिन्ग्नापुर (महाराष्ट्र)
यह मंदिर भारत के महाराष्ट्र राज्य के अहमदनगर जिले में स्थित है। यह 300 साल पुराना मंदिर है। आपको बता दें इस मंदिर में ना कोई दीवार है ना छत। यह एक मंच पर 5 फीट ऊंचा काला पत्थर है। जिसे यहां के लोग शनिदेव के रूप में पूजते है। वहां के लोगों का कहना है कि शनि देव वहां के लोगों की रक्षा स्वयं करते हैं। यहां के चमत्कारी प्रभाव दुनिया भर के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते है। हालांकि इस मंदिर में महिलाओं को अंदर आने की इजाजत नहीं दी गई है।
2. शनि घाम (नई दिल्ली)
शनि धाम मंदिर नई दिल्ली में छतरपुर रोड में स्थित है। इस मंदिर में हर साल लाखों पर्यटक शनि देव के दर्शन के लिए आते हैं। आपको बता दें इस मंदिर में शनिदेव की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है। यहां लोग शनिदेव के प्राकृतिक मूर्ति की पूजा करते है। इस मूर्ति को वर्ष 2003 में वापस स्थापित किया गया था। शनिदेव के भक्तों का ऐसा मानना है, कि इस मंदिर में शनिदेव का मंत्र जाप करने से जीवन में आने वाली सभी परेशानियां हमेशा के लिए दूर हो जाती हैं।
3. थिरुनल्लर मंदिर (तमिलनाडु)
थिरुनल्लर मंदिर पुडुचेरी के कराईकल जिले में स्थित है। यह मंदिर नवग्रह मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में पूजा करने के बाद राजा नल को शनि के प्रभाव से होने वाले रोगों से मुक्ति मिली थी। ऐसा कहा जाता है, इस मंदिर में शनि देव के दर्शन मात्र से ही सभी कष्ट दूर हो जाते है।
4. शनिचरा मंदिर (मध्यप्रदेश)
यह मंदिर मध्य प्रदेश में स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब शनि देव को भगवान हनुमान ने लंका से उठाकर फेंका था, तो वह इसी जगह आकर गिरे थे। यहां के लोगों का मानना है, कि यहां शनि पर्वत की परिक्रमा करने से शनि श्राप से मुक्ति मिलती है।
5. शनि मंदिर (इंदौर)
इंदौर में शनि देव का यह मंदिर बेहद चमत्कारी है। इस मंदिर को लेकर अनेकों कहानियां प्रचलित है। ऐसी मान्यता है कि यहां अहिल्याबाई शनिदेव की पूजा करने आई थी। आपको बता दें इस मंदिर की स्थापना नहीं की गई है। यह स्वयं निर्मित हुआ है।
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