Meghanada in Ramayana: कौन था मेघनाद जिसने स्वर्ग में देवताओं पर विजय प्राप्त की थी, कैसे हुई थी उसकी मृत्यु

Meghanada in Ramayana: लंकापति रावण का बेटा मेघनाद काफी बलशाली माना जाता था। राम-रावण युद्ध में उसने रावण की तरफ से युद्ध में बड़ी भूमिका निभाई थी। जानते हैं कैसे हुई थी मेघनाद की मृत्यु-

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कौन था मेघनाद कैसे हुई उसकी मृत्यु 
मुख्य बातें
  • रामायण में राम-रावण युद्ध के दौरान मेघनाद की काफी चर्चा की जाती है
  • रावण का बड़ा पुत्र मेघनाद हर तरह से बलशाली था
  • मेघनाद ने स्वर्ग में देवताओं पर विजय पाई थी

रामायण में राम-रावण युद्ध के दौरान मेघनाद की काफी चर्चा की जाती है। रावण का बड़ा पुत्र मेघनाद हर तरह से बलशाली था। उसने स्वर्ग में देवताओं पर विजय पाई थी।मंदोदरी से रावण को जो पुत्र मिले उनके नाम हैं- इंद्रजीत, मेघनाद, महोदर, प्रहस्त, विरुपाक्ष भीकम वीर। कहते हैं कि धन्यमालिनी से अतिक्या और त्रिशिरार नामक दो पुत्र जन्में जबकि तीसरी पत्नी के प्रहस्था, नरांतका और देवताका नामक पुत्र थे। रावण की यूं तो दो पत्नियां थीं लेकिन कहा जाता है कि रावण की तीन पत्नी थी। तीसरी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिलती है। ऐसा भी कहा जाता है कि रावण ने उसकी हत्या कर दी थी।

रावण की पहली पत्नी थी मंदोदरी और दूसरी पत्नी थी धन्यमालिनी। मंदोदरी से रावण के इंद्रजीत, मेघनाद, महोदर, प्रहस्त, विरुपाक्ष भीकम और वीर पैदा हुए। मेघनाद को इंद्रजीत के नाम से भी जाना जाता है। इंद्र को हराने के पश्चात स्वयं ब्रम्हा ने उसे इंद्रजीत नाम दिया था। ब्रम्हा ने उसे ये आशर्वाद भी दिया था कि उसे एक दिव्य रथ की प्राप्ति होगी और उस रथ पर वह जब तक सवार रहेगा कोई भी उसका बाल भी बांका नहीं कर पाएगा।

वह काफी बलशाली माना जाता था। राम-रावण युद्ध में उसने रावण की तरफ से युद्ध में बड़ी भूमिका निभाई थी। उसने अपने गुरु शुक्राचार्य के पास रहकर अस्त्र-शस्त्र की विद्या पाई थी और स्वर्ग में देवताओं को राकर उनके भी अस्त्र शस्त्र पर विजय पा ली थी। वह पितृभक्त पुत्र था। पिता के लिए वह कुछ भी छोड़ने को तैयार रहता था। राम स्वयं भगवान हैं ये पता चलने पर भी उसने अपने पिता का साथ नहीं छोड़ा। 

कैसे हुई मेघनाद की मृत्यु
जब युद्ध में कुंभकर्ण का अंत हो गया तो रावण ने अपने बेटे मेघनाद को युद्धभूमि में भेजा। युद्ध शुरू होते ही राम की तरफ के एक-एक योद्धा मेघनाद के हाथों मारे गए। अंत में मेघनाद का लक्ष्मण से सामना हुआ जिसके बाद उसने भगवान राम और लक्ष्मण पर भी कई वार किए। अगले दिन वह और भी उत्साह के साथ युद्ध करने लगा और प्रतिज्ञा लेते हुए कहा कि आज वह राम और लक्ष्मण दोनों में से किसी एक के प्राण ले लेगा। जब लक्ष्मण और मेघनाद लड़ रहे थे तब मेघनाद ने मायावी रुप धारण कर लिया अदृश्य होकर वार करने लगा। 

तीसरे दिन के युद्ध में एक बार फिर से लक्ष्मण और मेघनाद के बीच युद्ध हुआ। राम ने भाई लक्ष्मण को समझाया कि मेघनाद एकल पत्नी व्रत धर्म का कठोर पालन कर रहा है ऐसे में जब उसे मारना होगा तो ध्यान रखना होगा कि उसका शीश कटकर धरती पर ना गिरे वरना अनर्थ हो जाएगा। इसलिए लक्ष्मण ने चालाकी से मेघनाद पर ऐसा वार किया कि उसका सिर कटकर सीधा भगवान राम के चरणों पर आ गिरा और उसका हाथ वहीं धरती पर कटकर गिर गया। इस तरह मेघनाद की मृत्यु हुई।

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