हिंदुओं के प्रसिद्ध धर्मग्रंथ रामायण में संजीवनी बूटी का जिक्र मिलता है। ये वही संजीवनी बूटी है जिसके बारे में रामायण में कहा गया है कि इसी की मदद से लक्ष्मण के प्राण वापस आए थे। रणभूमि में रावण के साथ युद्ध के दौराण लक्ष्मण को बाण लग जाने के कारण वे वहीं पर मूर्छित हो गए थे जिसके बाद राम अपने भाई की वियोग में करुणा विलाप करने लगे थे। इसके बाद ही पवनपुत्र हनुमान ने कैलाश पर्वत पर जाकर वहां से संजीवनी बूटी लेकर आए थे जिससे लक्ष्मण की जान बची थी।
सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाने के लिए राम और रावण के बीच छिड़े युद्ध में रावण के बड़े बेटे मेघनाद ने लक्ष्मण को बाण मार दिया था। लक्ष्मण को मूर्छित देखकर हनुमान ने लंका के वैध सुशेन से इसका उपाय पूछा फिर उन्होंने ही बताया कि हिमालय के पास कैलाश पर्वत की द्रोणगिरी हिल्स से से उन्हें संजीवनी के चार पौधे लाने होंगे उसी से लक्ष्मण की जान बच सकती है। ये चार पौधे थे- मृतसंजीवनी (प्राण लौटाने वाला), विशाल्यकरणी (बाण निकालने वाला), संधानकरणी (त्वचा को सजीव करने वाला), सवर्ण्यकरणी (त्वचा का रंग वापस करने वाला)।
महर्षि वाल्मिकी के द्वारा लिखे गए रामायण के 74वें अध्याय के युद्धकांड में इस बात का वर्णन किया गया है। इस अध्याय के मुताबिक जब हनुमान पर्वत पर गए तो वे उन जड़ी बूटी वाले पौधों को खोज नहीं पाए इसके बाद वे समय बचाने के लिए पूरा पर्वत ही अपने हाथों पर उठा कर युद्धभूमि में ले आए जहां पर लक्ष्मण मूर्छित अवस्था में पड़े थे। इसके बाद लक्ष्मण की जान बचाई गई। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार संजीवनी एक ऐसी दवाई (औषधि/जड़ी बूटी) है जिसमें प्राण बचाने तक की क्षमता होती है।
क्या है संजीवनी बूटी का रहस्य
रामायण की इस घटना के बाद सवाल ये उठता है कि क्या संजीवनी बूटी वास्तव में धरती पर है और अगर है तो कहां है। हिंदू माइथोलॉजी के अनुसार यह एक जादुई जड़ी बूटी है जो किस भी प्रकार की जटिल समस्या को खत्म कर सकता है। ऐसा माना जाता है कि इस जड़ी बूटी की मदद से बनाए गए दवाइयों से किसी के मृतक के भी प्राण तक बचाए जा सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ वैज्ञानिक तर्कों की मानें तो हिंदू माइथोलॉजी में बताया गया संजीवनी बूटी धरती पर पाया नहीं गया है। पूराने ग्रंथ भी इस बात की पुष्टि नहीं कर पाए हैं कि धरती पर पाया गया कोई पौधा संजीवनी बूटी ही है। कहीं-कहीं ग्रंथों में लिखा गया है कि संजीवनी अंधेरे में चमकता है।
हम जानते हैं कि प्रकृति में ऐसे कई पौधे हैं जिनमें दवाईयों का गुण पाया जाता है जैसे तुलसी, धनिया, पुदीना इत्यादि। लंबे समय से इसका इस्तेमाल मानव जाति के द्वारा किया जाता रहा है। बहुत से लोगों के मन में ये भी सवाल उठता है कि क्या आज भी संजीवनी बूटी अस्तित्व में है। आपको बता दें कि कुछ लोगों ने ये दावा किया था कि द्रोणगिरी हिल्स पर आज भी दो ऐसे पौधे पाए गए हैं जो संभवत: संजीवन बूटी हैं। ये जगह जोशीमठ गढ़वाल के पास है जहां से 15,000 फीट की ऊंचाई पर ये बूटी पाई गई है।
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