Importance of Rudraksha: हिन्दू धर्म में रुद्राक्ष को काफी शुभ माना गया है। ऐसी मान्यता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है। इसलिए भगवान शिव और रुद्राक्ष के बीच एक गहरा संबंध है। इनसे जुड़ी गई कथा और कहानियां प्रचलित है। लेकिन देवी भागवत पुराण के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं के मानी जाती है। इस बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया है। वास्तु में भी रुद्राक्ष को महत्वपूर्ण माना गया है। वास्तु के अनुसार रुद्राक्ष से घर पर पॉजिटिविटी का संचार होता है। जानते हैं कैसे हुई रुद्राक्ष की उत्पत्ति और क्यों भगवान शिव के साथ है इसका संबंध।
भगवान शिव की आंसू से हुई रुद्राक्ष की उत्पत्ति
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर के आंसू से हुई है। भगवान महादेव से जुड़े होने के कारण रुद्राक्ष को बेहद ही शुभ माना गया है। देवी भागवत पुराण के अनुसार त्रिपुरासुर नाम का एक राक्षस ऋषि-मुनियों और देवताओं को काफी प्रताड़ित करता था। त्रिपुरासुर के आतंक को खत्म करने के नियत से सभी देवता जन भगवान शिव के पास समाधान निकलवाने के लिए गए। उनकी पीड़ा से अभिभूत होकर भोलेनाथ योग निद्रा में लीन हो गए। फिर जब उन्होंने अपना नेत्र खोला तो उनकी आंखों से आंसू की कुछ बूंदे धरती पर गिर गई। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव की उन्ही आंसुओं की बूंदों से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई।
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क्या होता है रुद्राक्ष
रुद्राक्ष अर्थात नाम से ही स्पष्ट है शिव और नेत्र। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव के नेत्रों की आंसुऐं धरती पर जहां जहां गिरी उस स्थान पर रुद्राक्ष का पौधा उग गया। यही कारण है कि रुद्राक्ष भगवान शिव को बहुत प्रिय है। रुद्राक्ष धारण कर शिव की आराधना करने से भगवान भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न होते हैं।
रुद्राक्ष धारण कर करें शिव की पूजा
भगवान शिव की आंसुओं से उत्पन्न होने के कारण रुद्राक्ष उन्हें बहुत प्रिय है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार रुद्राक्ष धारण करके शिवजी की आराधना करने से भगवान भोलेनाथ शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं। वैसे तो कई तरह के रुद्राक्ष पाए जाते हैं। लेकिन कहा जाता है कि एकमुखी रुद्राक्ष में भगवान शिव का स्वरूप होता है। एकमुखी रुद्राक्ष धारण करने से शिवजी के साथ ही सूर्यदेव का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।
(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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