Shiva Mahimna Stotram: शिवमहिम्न स्तोत्र से पुष्पदंत को वापस मिली खोई हुई दिव्य शक्तियां, जानें इसका वर्णन

Shiva Mahimna Stotram: भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन शिवमहिम्न स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इससे व्यक्ति भय मुक्त होता है और भगवान शिव की दिव्य कृपा प्राप्त होती है। साथ ही उसके सारे पाप भी नष्ट हो जाते हैं।

Shiva Mahimna Stotram Path
शिवमहिम्न स्तोत्र के पाठ से प्राप्त होती है शिवजी की महिमा 
मुख्य बातें
  • 43 छंदों में किया गया है शिवमहिम्न स्तोत्र का वर्णन
  • शिवमहिम्न स्तोत्र से पुष्पदंत को प्राप्त हुई खोई हुई दिव्य शक्तियां
  • शिवमहिम्न स्तोत्र के पाठ से सभी मनोकामनाएं होती है पूरी

Shiva Mahimna Stotram Path: शिवजी की पूजा के लिए सोमवार का दिन समर्पित होता है और इस दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। लेकिन प्रतिदिन पूजा में शिवमहिम्न स्तोत्र का पाठ करने से शिवजी की महिमा प्राप्त होती है और व्यक्ति सारे सुखों को प्राप्त करता है। कहा जाता है कि पुष्पदंत ने भी इस स्त्रोत का पाठ कर शिवजी को प्रसन्न किया था और अपनी खोई हुई सभी दिव्य शक्तियों को पुन: प्राप्त किया था। इसलिए मान्यता है कि इस स्रोत का पाठ करने से व्यक्ति को सारे सुखों की प्राप्ति होती है और दुखों का नाश होता है।

शिवमहिम्न स्तोत्र का वर्णन

सभी व्यक्ति को शिवमहिम्न स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन जरूर करना चाहिए। कुल 43 छंदों में इस स्तोत्र का वर्णन किया गया है। इसमें भगवान शिवजी के दिव्य स्वरूप से लेकर उनकी सादगी के बारे में वर्णन मिलता है। शिवजी के सभी स्तोत्रों में शिवमहिम्न स्तोत्र भक्तों के बीच लोकप्रिय माना जाता है।

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कैसे हुई शिवमहिम्न स्तोत्र की रचना

धार्मिक मान्यता के अनुसार एक बार चित्ररथ नाम का एक राजा था। राजा का बगीचा बहुत ही सुंदर था और इसमें सुंदर-सुंदर फूल लगे थे। राजा अपने बागों के इन्हीं फूलों से प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा करता था। एक दिन पुष्पदंत नामक एक गंधर्व बगीचे के सुंदर फूलों को देख मोहित हो गया और उसने सभी फूल चुरा लिए। गंधर्व के पास अदृश्य होने की दिव्य शक्ति थी। जिस कारण राजा के सैनिक उसे पकड़ नही सके। बगीचे के सारे फूल चोरी हो जाने के परिणामस्वरूप राजा भगवान शिव को फूल नहीं अर्पित कर सका। आखिर में राजा ने शिव निर्माल्य को अपने बगीचे में फैला दिया। शिव निर्माल्य में बिल्व पत्र और फूल आदि होते हैं। शिवजी को शिव निर्माल्य अतिप्रिय हैं और इन्हें शिवजी की पूजा में चढ़ाना पवित्र माना जाता है।

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पुष्पदंत जब फिर से चोरी करने के लिए आया तब वह भूलवश शिव निर्माल्य पर चला गया। इससे भगवान शिव क्रोधित हो गए। पुष्पदंत से भगवान के क्रोध के कारण अपनी अदृश्य होने की दिव्य शक्ति खो दी। फिर पुष्पदंत ने भगवान शिव से क्षमा प्रार्थना की।

क्षमा प्रार्थना करते हुए पुष्पदंत ने शिवजी की महिमा को गाया। पुष्पदंत की यही महिमा प्रार्थना ‘शिवमहिम्न स्तोत्र’ के नाम से प्रसिद्ध हुई। इस स्तोत्र से भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने पुष्पदंत की दिव्य शक्तियां पुन: वापस कर दी।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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